Monday, July 11, 2016

चिराग और जिन्न-1

                  मनुष्य का बचपन शैक्षिक वातावरण के लिए बहुत ही अनुकूल होता है | आज विज्ञान भी यही कहता है कि अगर बचपन से ही बालक को अच्छी शिक्षा दी जाये तो बड़ा होकर वह अपने परिवार, समाज और देश के लिए उपयोगी साबित हो सकता है | मैं इस विज्ञान से भी दो कदम आगे जाकर एक बात इसमें और जोड़ना चाहता हूँ | मैं कह रहा हूँ कि अगर बचपन में बालक को अच्छे वातावरण में जीवनोपयोगी किस्से कहानियां सुनाई जाये तो भविष्य में वह स्वयं भी एक अच्छा नागरिक साबित होगा और बचपन की शिक्षाएं उसका जीवन भर मार्गदर्शन भी करती रहेगी | हमारे बचपन में संयुक्त परिवार हुआ करते थे | हमारे पिताजी भारत के सुदूर पूर्व में आजीविका कमाने के लिए कम से कम एक वर्ष के लिए जाते थे | आज के युग की तरह आवागमन के इतने अधिक और त्वरित साधन तो थे नहीं जो प्रत्येक महीने अपने घर आ जाये |कभी कभी तो अधिक व्यस्तता के कारण दो साल बाद ही उनका आना होता था |ऐसे में हमारे लालन पालन की जिम्मेवारी हमारी माताजी और दादी जी के  कन्धों  पर होती थी |

               रात को जब सोने जाते थे, तब तत्काल नींद नहीं आती थी | हमारी दादी उस समय हमें बड़ी अच्छी और ज्ञानवर्धक कहानियां सुनाया करती थी | उस बचपन में हमें वे कहानियां मात्र एक कहानी से अधिक कुछ भी नहीं लगती थी परन्तु आज जब हम उस कहानी को याद कर विश्लेषण करते हैं, तब उस कहानी के पीछे छुपे हुए मर्म उजागर होते हैं | आपने भी अपने बचपन में ऐसी ही अनगिनत कहानियां अपने दादा-दादी से अवश्य ही सुनी होगी | उनमें कुछ कहानियां इस प्रकार की होती थी- एक राक्षस के प्राण एक तोते में होना, झिन्तिया का अपने ननिहाल ढोलक में बैठ कर जाना, अलादीन का चिराग और उसमें जिन्न का बंद होना, लोमड़ी के द्वारा अंगूर खट्टे बताना, दो बैलों की दोस्ती और सिंह द्वारा उनकी दोस्ती तुडवाना, भगवान् राम और रावण के युद्ध की कहानी, कालिदास की मूर्खता की कहानी आदि सैंकडों कहानियां आपने बचपन में अवश्य ही सुनी होगी | आज के बच्चे ऐसे बचपन से बहुत दूर निकल गए हैं | संयुक्त परिवार व्यवस्था दम तोड़ रही है और एक बच्चे को दूसरा बच्चा साथी के रूप में नहीं मिल रहा है | कहानियां टीवी सुनाता है, खेलता है यंत्रित खिलोनों से और वही बच्चा बड़ा होकर एक यंत्रित व्यवहार करने वाला नागरिक बनता है |                 
क्रमशः 
                  || हरिः शरणम् ||

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