जितने भी संत भक्ति-काल में हुए उनमे सब ने एक से बढ़कर एक अपनी काव्य रचनाये दी है |जिनकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है |उस युग में ऐसी अमृत-धारा बही थी जिसकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती |आपके सामने अनगिनत रचनाएँ होगी,जिनको आप बार बार पढना चाहेंगे |प्रत्येक बार उसमे आपको आनंद द्विगुणित होता हुआ महसूस होगा |कुछ अच्छी अच्छी रचनाये एक एक कर लेंगे और उनको समझने का प्रयास करेंगे |आपसे अनुरोध है कि आप इनका आनंद उठाये,अगर आपको उसमे कुछ अनुचित लगे तो क्षमा करदें |मैंने जैसा उन रचनाओं के भाव को समझा है ,उन्हें उसी प्रकार से प्रस्तुत कर सकता हूँ |हो सकता है ,मैं उन रचनाओं को उनके भावों की तुलना में कुछ कम आंक लूँ |कबीर ने कहा है कि-
साधू ऐसा चाहिए,जैसा सूप सुभाय |
सार सार को गहि रहे,थोथा देई उडाय ||
आप भी ऐसा ही करें-जो आपको अच्छा लगे उसे आत्मसात करें और जो अनुचित लगे उसे हवा में उड़ा दे |अगर मेरा ध्यान उस अनुचित की तरफ आकर्षित करें तो आभारी होऊंगा |जब तक आप अपने अनुसार उस काव्य का रसास्वादन नहीं करेंगे तब तक आप उस कविता के भावों को पकड़ ही नहीं पाएंगे |इसलिए किसी भी काव्य रचना को समझने के लिए आवश्यक है कि आपको कविता में रुचि हो |आपकी रुचि आपको विवश करती है,उस काव्य रचना की गहराई में उतरने को |और जब आप उस रचना की गहराई में डूबते हो तभी आप उस रचना की आत्मा तक पहुँच पाओगे |
काव्य मनुष्य के अंतस से उठती हुई आवाज़ होती है |जो स्वयं से प्रेम करता है वही व्यक्ति प्रत्येक से प्रेम कर सकता है |जब चारों और प्रेम का सागर हिलोरें ले रहा हो तो लहरे किनारों की और दौडेंगी ही |अंतर्मन से उठती ये लहरें जब सतह पर आकर किनारों से टकराती है तब कविता का जन्म होता है |इसीलिए कविता को आत्मा की आवाज़ कहा जाता है |उसी आवाज़ के भावों को समझने के लिए आपको उसी अंतर्मन की गहराई तक जाना होगा |अगर किनारे बैठ कर ही गहराई का अनुमान लगाएंगे तो भावप्रधान रचना में भी आपको छिछलापन ही नज़र आएगा |
कबीर,सूर,तुलसी,मीरा,गोरख इत्यादि सब अपने प्रिय के प्रेम में गहराई तक डूबे हुए थे |इसी प्रेम के कारण हमें वह सब कुछ मिला जो आज के समय में मिलना असंभव नहीं है तो आसान भी नहीं है |भक्ति -रस रुपी इस अमृत का खज़ाना अनमोल है |जितनी बार भी इसको पढ़ा जायेगा,उतनी बार ही उनमे नए भावार्थ समझ में आयेंगे |आप बार बार ऐसे काव्यों को पढ़ें ,आप उनकी गहराइयों में उतरते चले जायेंगे |तभी आपको समझ में आएगा कि प्रेम क्या होता है और परमात्मा प्रेम से ही क्यों प्राप्त किया जा सकता है ?इस संसार में अगर कुछ सत्य है,तो वह प्रेम है,परमात्मा है |
|| हरिः शरणम् ||
कबीर,सूर,तुलसी,मीरा,गोरख इत्यादि सब अपने प्रिय के प्रेम में गहराई तक डूबे हुए थे |इसी प्रेम के कारण हमें वह सब कुछ मिला जो आज के समय में मिलना असंभव नहीं है तो आसान भी नहीं है |भक्ति -रस रुपी इस अमृत का खज़ाना अनमोल है |जितनी बार भी इसको पढ़ा जायेगा,उतनी बार ही उनमे नए भावार्थ समझ में आयेंगे |आप बार बार ऐसे काव्यों को पढ़ें ,आप उनकी गहराइयों में उतरते चले जायेंगे |तभी आपको समझ में आएगा कि प्रेम क्या होता है और परमात्मा प्रेम से ही क्यों प्राप्त किया जा सकता है ?इस संसार में अगर कुछ सत्य है,तो वह प्रेम है,परमात्मा है |
|| हरिः शरणम् ||
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