Tuesday, January 28, 2014

अमृत-धारा |रहीम-२

                  रहीम ने समाज सुधार के लिए जितने प्रयास  किये ,प्रंशसनीय है |उस समय मुग़ल काल में इस्लाम कट्टरपंथ अपने चरम पर था |इन सब के बावजूद रहीम अपने प्रयास करते रहे और अपनी रचनाओं के माध्यम से जनता को शिक्षित करते रहे |उन्होंने इसके लिए कभी भी धर्म का सहारा नहीं लिया |उन्होंने उन बातों को आमजन तक उनकी भाषा में ही पहुँचाने का अनुकरणीय प्रयास किये |जिसका लाभ आज भी उन्हे पढकर उठाया जा सकता है |
                                सामाजिक स्तर पर सभी प्रकार के व्यक्तियों से आपका दिन-प्रतिदिन सामना होता रहता है |उनमे से कई उच्च स्तर के होते है,कई आपके समकक्ष होते है और कई निम्नतम स्तर के |आपको सबके साथ अपना तालमेल बैठाना पड़ता है |कई ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनके साथ आपका व्यवहार मित्रवत होता है |कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं ,जिनको आप पसंद नहीं करते हो और आप उनका सानिध्य भी पसंद न करते हो |आपको ऐसे लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना है,यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है |उच्च स्तर के व्यक्ति तो आप कैसा भी व्यवहार करें ,आपके साथ कोई निम्न स्तर  की हरकत नहीं करेंगे |परन्तु निम्न स्तर के व्यक्तियों के साथ ऐसा नहीं है |इस बारे में रहीम कहते हैं -
                                              रहिमन औछे नरन सूं,बैर भलो ना प्रीत |
                                              काटे चाटे श्वान के ,दोऊ भांति विपरीत ||
                               रहीम कहना चाहते हैं कि जो हल्के स्तर के व्यक्ति होते है उनके साथ आपकी दुश्मनी  और दोस्ती दोनों ही प्रकार का व्यवहार अच्छा नहीं है |चूँकि ऐसे व्यक्ति कि मानसिकता ही सामने वाले के प्रति इतने निम्न स्तर की होती है कि ऐन केन प्रकारेण वह उस व्यक्ति को हानि पहुँचाने की ही सोचता रहेगा |रहीम ने ऐसे स्तर के लोगों की तुलना एक कुत्ते से की है |वे समझाते हैं कि जैसे अगर आप कुत्ते से प्रेम प्रदर्शन करते हैं तो वह आपको अपनी जीभ से चाटता है|और अगर आप उसको गुस्से में डाँटते है अथवा मारते है तो वह आपको  काट भी सकता है |कुत्ते की लार में पागलपन के विषाणु होते हैं |वह आपको चाहे चाटे अथवा आपको काटे,आपके शरीर में पागलपन के विषाणु छोड़ ही देता है |इससे आपको रेबीज नामक बीमारी हो सकती है जिसका अंत केवल मौत है |इस बीमारी का कोई ईलाज आज तक नहीं खोजा जा सका है |इसलिए कुत्ते से दूरी बनाये रखने में ही आपकी भलाई है |
                         लाइलाज बीमारी से बचाव के लिए जिस प्रकार आप एक कुत्ते से दूरी बनाये रखते हैं ,ठीक उसी प्रकार आपको निम्नतम स्तर के व्यक्तियों से दूरी बनाये रखनी होगी ,जिससे सामाजिक स्तर पर वह आपको कोई क्षति न पहुंचा सके |
                                 || हरिः शरणम् ||    

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