होली का त्योंहार हमें अपने
जीवन में उपस्थित रंगों से हमारा परिचय कराता है | परमात्मा ने हमें यह जीवन इसमें
उपस्थित इन रंगों से आनंद उठाने के लिए दिया है, न कि इन रंगों में आपस में भेद
पैदा करने के लिए | हमारा यह जीवन सतरंगी जीवन है क्योंकि यह परमात्मा द्वारा
प्रकाशित है | प्रकाश में सातों रंग उपस्थित होते है | सातों रंगों की उपस्थिति और
उनके आपस में संगठित रहने के कारण ही हमारा जीवन प्रकाशमान हो सकता है, इन रंगों
में भेद करने से नहीं | इस संसार में उपस्थित विभिन्न रंग परमात्मा से ही है अतः
सभी समान है | ऐसा समता का भाव रखते हुए इस रंगीन पर्व का आनंद उठाने से ही हमारा
जीवन आभामय होगा | ‘वासुदेव सर्वम्’ का भाव रखते हुए रंगों से सरोबार होते हुए सभी
रंगों को अपने भीतर समेट लें और अपने जीवन को आलोकित करें | होली के इस पावन पर्व
की आप सभी को शुभकामनाएं |
|| हरिः शरणम् || डॉ. प्रकाश
काछवाल
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