Sunday, March 26, 2017

गहना कर्मणो गतिः -11

गहना कर्मणो गतिः -11
           न्यूटन के गति के नियमों के बारे में थोड़ा और अधिक स्पष्ट करना आवश्यक है | इन नियमों में दो शब्द स्पष्ट रूप से हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं- एक पिंड (Object) अथवा वस्तु और दूसरा बल (Force) | पिंड या वस्तु पदार्थ (Matter) की श्रेणी में आता है और बल अनुभव (Experience) करने में | मुख्य रूप से बल जिन्हें आधारभूत बल (Fundamental forces) कहा जाता है, चार प्रकार के हैं – गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force), विद्युत-चुम्बकीय बल (Electro-magnetic force), तीव्र नाभिकीय बल (Strong nuclear force) और क्षीण नाभिकीय बल (Weak nuclear force) | गुरुत्वाकर्षण बल के वाहक (Carrier) को ग्रेविटोन (Graviton), विद्युत्-चुम्बकीय बल के वाहक को फोटोन (Photon), तीव्र नाभिकीय बल के वाहक को ग्लुओन (Gluon) और क्षीण नाभिकीय बल के वाहक (Carrier)  को बोसोन (Intermediate vector boson) कहा जाता है | इन वाहकों (Carriers) पर ये बल सवार होकर किसी पिंड तक पहुँच कर सक्रिय होते हैं |  पहले के दो बल हमें स्पष्ट रूप से अनुभव होते हैं जबकि अंतिम दो बल हमें अनुभव में नहीं आते हैं | इन बलों का हमारी दिनचर्या में महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि हमारा शरीर भी तो एक पिंड ही है | ये चारों बल एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं |
                  इन चार बलों के कारण ही यह ब्रह्माण्ड गतिमान है, इन चारों में प्रमुख है, गुरुत्वाकर्षण बल | न्यूटन ने ही गुरुत्वाकर्षण को सबसे पहले प्रतिपादित किया था | संसार की प्रत्येक वस्तु एक दूसरे को आकर्षित और प्रतिकर्षित करती है | इस आकर्षण और प्रतिकर्षण बल के कारण सभी पिंडों में गति होती रहती है, और वे एक दूसरे से टकराते नहीं है |
 क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल

|| हरिः शरणम् ||

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