Monday, October 28, 2013

मुक्ति का वैज्ञानिक आधार |-६

क्रमश:६
                गीता में पुनर्जन्म से मुक्ति हेतु ध्यान योग के लिए भगवान श्री कृष्ण कहते हैं-
                                        समं   कायशिरोग्रीवं   धारयन्नचलं   स्थिरः |
                                        सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् || गीता-६/१३||  
अर्थात्,शरीर,गर्दन और सिर को सीधा,अचल-स्थिर करके दृढ होकर बैठ जाएँ और अपनी नासिका के अग्र भाग को देखते हुए अन्य दिशाओं को न देखते हुए स्थिर होकर बैठें|
                            वैज्ञानिक तौर पर निरंतर अभ्यास  करते रहने से आपका यह ध्यान-योग (Meditation) मन (Hypothalamus)और इन्द्रियों(Pitutary gland) पर नियंत्रण करेगा |  क्योंकि दोनों भृकुटियों(Eyebrows) के बीच की सीधी रेखा(Horizontal line) में कपाल (Skull)के भीतर पीयूष ग्रंथि (Pitutary gland)और मन(Hypothalamus) होते है | (पीछे के चित्रों को देखें)ध्यान-योग के निरंतर अभ्यास से आपका इन दोनों अर्थात् मन और इंद्रियों पर नियंत्रण स्थापित होने लगता है|जैसा कि हम जानते हैं कि मन और इन्द्रियों के विषय ही पुनर्जन्म का कारण होते हैं |जितनी भी कामनाएं पैदा होती है ,वे सभी दृष्टि के कारण पैदा होती है|काम सदैव नेत्रों के माध्यम से ही शरीर में प्रवेश करता है |जब दृष्टि नाक के अग्र भाग पर केंद्रित होगी तो अन्य किसी भी दिशा में देख पाना संभव भी नहीं होगा |इस प्रकार ध्यान-योग से शरीर में काम को प्रवेश करने से रोका जा सकता है |काम के प्रवेश न करने से कामनाएं भी पैदा नहीं हो पायेगी और मन तथा इन्द्रियों को नियंत्रित करना भी आसान हो जायेगा|
                               सनातन संस्कृति में ललाट(Forehead) पर पूजा के दौरान तिलक लगाने का प्रावधान है|यह तिलक ललाट पर दोनों भृकुटियों(Eyebrows) के मध्य लगाया जाता है |जिस भाग पर यह तिलक लगाया जाता है विज्ञानं की भाषा में उस भाग को Glabella कहते हैं | Glabellaकी सीधी रेखा (Horizontal line)में कपाल (Skull)के भीतर ही Sella tersica होती है जहाँ पर पीयूष ग्रंथि (Pitutary gland)और Hypothalamus होते हैं |मान्यता है की ललाट पर नित्य तिलक लगाने से मन(Hypothalamus) और इन्द्रियों (Pitutary gland)पर नियंत्रण स्थापित करने में सहायता मिलती है |
                           पीयूष ग्रंथि(Pitutary gland or Hypophysis) कई तरह के हार्मोन्स बनाती है ,जिनके कारण वह पूरे शरीर को सीधे तौर पर यानि परोक्ष(Directly)  या किसी के माध्यम से यानि अपरोक्ष(Indirectly) रूप से प्रभावित(Effect) करती है|पीयूष ग्रंथि के हार्मोन्स की व्याख्या (Detailing of the hormones of pitutary gland)विषय से सम्बंधित नहीं(Not related) है अतः उनका यहाँ उल्लेख(Mention) करना तर्कसंगत नहीं है |पीयूष ग्रंथि के कुछ प्रमुख कार्य हैं-(Functions of Hypophysis)-
         शारीरिक विकास(Growth) ,रक्त चाप पर नियंत्रण(Blood pressure control),गर्भधारण और शिशु का जन्म(Pregnancy and child birth),दूध का स्राव(Lactation),भोजन को उर्जा में बदलना(Metabolism),थाइरोइड ग्रंथि में हार्मोन्स का निर्माण(Thyroid function),प्रजनन अंगों के कार्य का विकास(Sex  organ functions),जल का शरीर में नियंत्रण(Water regulation) , तापक्रम पर नियंत्रण (Temperature regulation)और दर्द के अहसास को कम करना(Control on pain) आदि|

                 उपरोक्त चित्र में पीयूष ग्रंथि(Hypophysis) के दोनों भाग (Anterior and posterior lobes)दिखाये गए हैं,जिनसे अलग अलग प्रकार के हार्मोन्स का स्राव(Secretion of hormones) होता है,जो पूरे शरीर को नियंत्रित (Control)करते हैं |इसीलिए शरीर में जितने भी कार्य या कर्म होते है उन सबके लिए यही ग्रंथि परोक्ष या अपरोक्ष(Directly or indirectly) रूप से उत्तरदायी(Responsible) होती है |
क्रमश:
                 || हरिः शरणम् ||

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