Sunday, October 27, 2013

मुक्ति का वैज्ञानिक आधार |-५

क्रमश:५
             मानव और अन्य योनियों में मात्र एक ही अंतर है-अन्य योनियाँ भोग योनियाँ है अर्थात् मानव योनि  में किये गए कर्मों के अनुसार कर्मफल भोगने के लिए ही ये योनियाँ होती है जब कि मानव योनि भोग योनि के साथ साथ योग योनि भी है अर्थात् मानव योनि में व्यक्ति कर्म करते हुए उनको भोगता भी है और कर्मफलों का संचय भी करता है |कर्मफलों का संचय ही उसे पुनर्जन्म में जाने को विवश करता है |मानव और अन्य योनियों में अंतर स्पष्ट करता है कि अन्य योनियों में मात्र शरीर ही अपना कार्य करता है जबकि मानव योनि में शरीर के साथ साथ मन भी कार्य करता है |अन्य योनियों में मन का सर्वथा अभाव होता है |इसीलिए हम कह सकते हैं कि मानव की शारीरिक अवस्था के साथ साथ एक मानसिक अवस्था भी होती है जबकि अन्य जीवों की केवल शारीरिक अवस्था ही होती है |
                 आइये ,अब हम यह जानने का प्रयास करते है कि यह मन शरीर में कहाँ स्थित होता है? वैज्ञानिक इसे Mind कहते हैं और हम इसे मन |विज्ञानं के अनुसार मन मस्तिष्क का ही एक हिस्सा है ,जो कि अग्र मस्तिष्क (Prosencephalon) में स्थित होता है |अग्र मस्तिष्क के दो भाग होते हैं-Telencephalon और diencephalon | Telencephalon  में मानव मस्तिष्क में Neocortex  होता है जो अन्य जीवों में स्थितCortex की तुलना में अधिक विकसित होता है |Diencephalonमें Thalamus,hypothalamus,subthalamus ,  Pitutary   और Pineal ग्रंथियां होती है |
                 Diencephalon का एक भाग  Hypothalamus(मन) होता है |जोकि मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|Hypothalamus में निश्चित कर्मों के लिए संकेत प्रेषित(Transmission of signals) करने के लिए कई केन्द्र(Nuclei) होते हैं,जिनके द्वारा विशेष कार्य(Specific act) करने हेतु संकेत मस्तिष्क के अन्य भागो के माध्यम से प्रेषित करते हुए कर्म सम्पादित(Completion of act) किये जाते हैं | यही भाग सभी ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों(Senses) को नियंत्रित(Control) करता है ,जिनकी भूमिका पुनर्जन्म (Reincarnation)में होती है |इसी मन और इसके माध्यम से किये जाने वाले कर्मों के बारे में कबीर ने भी कितनी सुन्दर बात कही है-
                                         मन के मते न चालिए,मन के मते अनेक |
                                         जो मन पर असवार है,सो साधू कोई एक ||
      कबीर यहाँ पर यही कहना चाहते हैं कि मन ही सभी कर्मों के लिए जिम्मेवार है |जो कोई भी मन को नियंत्रित कर लेता है वही व्यक्ति साधू कहलाने का अधिकारी होता है |
                                                 मस्तिष्क में Telencephalonके Neocortexसे संकेत Diencephalon के Thalamus से होते हुए Hypothalamus तक पहुंचते हैं और यहीं से उनका क्रियान्वन शुरू होता है |Hypothalamus का प्रमुख कार्य हैं-तंत्रिका-तंत्र (Nervous system)के Neocortexको अन्तःर्स्रावी (Endocrine system))तंत्र से पीयूष ग्रंथि के माध्यम(Via Pitutary gland) से जोड़ना |यहाँ Neocortex को बुद्धि का क्षेत्र माना जा सकता है |चित्त या मनHypothalamus में स्थित होता और समस्त इन्द्रियों का नियंत्रण का केन्द्र  Pitutary gland यानि पीयूष ग्रंथि है||बुद्धि (Neocortex)चित्त या मन (Hypothalamus) के माध्यम से इंदियों के नियंत्रण केन्द्र पीयूष ग्रंथि (Pitutary gland) से इन्द्रियों को आदेश (Endocrines)दिलवाकर कर्म करवाती है |आत्मा (Soul)जन्म के समय ही मस्तिष्क के अग्र भाग (Prosencephalon-Telencephalon-Neocortex)को अपने नियंत्रण में ले लेती है |चूँकि आत्मा एक चुम्बकीय उर्जा है और जन्म के समय मस्तिष्क में विद्युतीय उर्जा भी चुम्बकीय क्षेत्र का  निर्माण करती है |अग्र मस्तिष्क के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ आत्मा की चुम्बकीय उर्जा अपना समन्वय(Coordination) कायम कर लेती है ,जिससे आत्मा अपनी इच्छानुसार अग्र मस्तिष्क से संकेत भिजवाकर बुद्धि (Neocortex)और मन (Hypothalamus)के माध्यम से इन्द्रियों के विषयों का रसास्वादन कर सकती है |आत्मा शरीर में चित्त के साथ प्रवेश करती है |आत्मा तो Neocortex को और चित्त Hypothalamus को नियंत्रण में रखते हुए पूर्व जन्म की अधूरी रही इच्छाओं और कामनाओं को पूरी करने में सक्रिय(Active) हो जाते हैं |


         ऊपर दिए गए चित्र से आप आसानी से समझ सकते हैं कि मन वास्तव में कैसे कार्य करता है ?मानव ललाट के बिलकुल मध्य भाग और नाक् से एकदम ऊपर ललाट का भाग जो दोनों भृकुटियों (Eye brows )के मध्य स्थित होता है,उसकी सीधी रेखा में कपाल (Skull)के अंदर हड्डियोंBone) से आच्छादित(Covered) जगह होती है उसे Sella-tursica कहते है |इसी sella-tursica में Pitutary ग्रंथि (Gland)होती है जिसका आकार मटर के दाने के बराबर होता है |यहीं पर Hypothalamus होता है ,जिसका आकार एक बादाम जैसा होता है|उसके ऊपर दोनों आँखों से  संकेत लेकर आनेवालीOptic Nerves आपस में cross बनाती है जिसे Optic chiasma कहते है |
 क्रमश:
                                 || हरिः शरणम् ||

2 comments:

  1. Nice article Man Keep up the good work. And I would like to be here again to find another masterpiece article.
    https://blog.mindvalley.com/diencephalon-function/

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