क्रमश:७
आत्मा(Soul)),बुद्धि(Neocortex),मन(Hypothalamus) और इन्द्रियों के नियंत्रण केंद्र(Pitutary gland) को समझ लेने के बाद प्रश्न यह पैदा होता है कि मानव जन्म के दौरान किये गए कर्म चित्त (Hypothalamus)में कैसे अंकित होते है ?इसको जानने के लिए हमें तंत्रिका-तंत्र (Nervous system)को कुछ और गहराई से समझना होगा|तंत्रिका-तंत्र के सभी भागों में आपसी तालमेल बहुत ही अच्छा होता है|उपरोक्त सभी केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (C.N.S.)के अंतर्गत आते है |इसके बाद परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system)आता है |परिधीय तंत्रिका तंत्र के दो भाग होते हैं -स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (Autonomic nervous system)और कायिक तंत्रिका तंत्र (Somatic nervous system)|स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (A.N.S.)भी दो प्रकार के होते हैं-Sympathetic और Parasympathetic nervous system)|स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (A.N.S.)पर किसी का भी नियंत्रण नहीं होता है (Involuntary)| इस तंत्र का प्रमुख कार्य होता है-ह्रदय की धडकन को अनवरत जारी रखना(Heart beating),श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया(Respiration),भोजन के पाचन की क्रिया(Digestion),मुंह में लार का बनना(Salivation),पसीना आना( Perspiration),आँख की पुतली का फैलना(Pupillary dilatation),पेशाब और शौच की क्रिया(Micturation and defaecation) तथा समागम की इच्छा होना(Sexual arousal) आदि |यह तंत्र मस्तिष्क (Brain)के Medulla oblongata और Lower brain stem में स्थित होता है | इस तत्र से संबधित कई Ganglia होते हैं जहाँ से दो प्रकार की Nerves निकलती है-Sensory और Motor nerves|Sensory nerves संकेतों(Signals) को Medulla oblongata तक पहुंचाती है जबकि Motor nerves प्रतिक्रिया स्वरुप कर्म करने के संकेत संबधित मांस पेशियों (Muscles)को प्रेषित करती है |उदहारण स्वरुप अगर कोई व्यक्ति गर्मी के वातावरण में रहता है तो Sensory nervves,Medulla oblongeta तक शरीर को गर्मी लगने के संकेत भेजती है |तुरंत ही Medulla से Motor nerves के माध्यम से खून की नलियों (Blood vessels)की मांसपेशियों(Circular muscles) को संकेत भेजे जाते हैं|परिणामस्वरूप खून की नलियों का व्यास(Diameter) बढ़ जाता है और साथ ही खून का प्रवाह (Blood flow)भी|जिसके कारण हमें पसीना आता है और शरीर का तापक्रम तुरंत ही नियंत्रण(Temprature control) में आ जाता है |
स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (A.N.S.)की यही विशेषता है कि यह अपने आप कार्य करता है और सम्बंधित व्यक्ति को इसका अहसास भी नहीं होता |परिधीय तंत्रिका तंत्र(P.N.S.) का दूसरा प्रकार होता है -कायिक तंत्रिका तंत्र(Somatic nervous system) |इसके अंतर्गत केवल Nerves ही आती है ,जो चार प्रकार की होती है -
1.Sensory nerves
2.Motor nerves
3.Cranial nerves
4.Spinal nerves
तंत्रिका-तंत्र से जो भी Nerves निकलती है वे सभी संकेतों को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का कार्य करती है|उदाहरणार्थ अगर आपकी अंगुली किसी तेज गर्म वस्तु से छू जाती है तो इन Nerves के माध्यम से संकेत तुरंत मुख्य तंत्रिका-तंत्र तक पहुँच जाते हैं और प्रतिक्रिया स्वरुप वहाँ से भेजे गए संकेत वापिस त्वरित गति से वहाँ पहुंचकर मांसपेशियों को हाथ वहाँ से हटाने का आदेश देते हैं |
सभी Nerves परिधीय तंत्रिका तंत्र(Peripheral nervous system) का भाग होती है|इनके माध्यम से ही सभी कार्य सम्पादित होते हैं|12 जोड़े cranial nerves के होते हैं और अन्य Nerves सुषुम्ना नाडी(Spinal cord) से निकलती है |Nervesभी कार्य के अनुसार दो प्रकार की होती है-sensory और motor|Sensory nerves हमें ताप,ठण्ड,दर्द,छूने इत्यादि का ज्ञान करवाती है ,जबकि Motor nerves हमारी मांसपेशियों को संकेत पहुंचाकर कार्य करवाती है|उदाहरणार्थ अगर हमारे पांव में कोई कील चुभती है तो वहाँ से संकेत Sensory nerves के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचते हैं और हमें कील चुभने पर दर्द का अनुभव होता है|प्रतिक्रिया स्वरुप मस्तिष्क Motor nerves के माध्यम से पांव की मांसपेशियों को संकेत भेजता है जिससे पांव की मांसपेशियां तुरंत अपना कार्य करती हुई पांव को उस कील से दूर हटा देती है|
सभी Nerves अपने आखरी छोर(End point) पर Synapses बनाती है,जिससे संकेत (Signals)आगे की Nerves अथवा Target cells को पहुंचाए जाते हैं |
क्रमश:
|| हरिः शरणम् ||
आत्मा(Soul)),बुद्धि(Neocortex),मन(Hypothalamus) और इन्द्रियों के नियंत्रण केंद्र(Pitutary gland) को समझ लेने के बाद प्रश्न यह पैदा होता है कि मानव जन्म के दौरान किये गए कर्म चित्त (Hypothalamus)में कैसे अंकित होते है ?इसको जानने के लिए हमें तंत्रिका-तंत्र (Nervous system)को कुछ और गहराई से समझना होगा|तंत्रिका-तंत्र के सभी भागों में आपसी तालमेल बहुत ही अच्छा होता है|उपरोक्त सभी केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (C.N.S.)के अंतर्गत आते है |इसके बाद परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system)आता है |परिधीय तंत्रिका तंत्र के दो भाग होते हैं -स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (Autonomic nervous system)और कायिक तंत्रिका तंत्र (Somatic nervous system)|स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (A.N.S.)भी दो प्रकार के होते हैं-Sympathetic और Parasympathetic nervous system)|स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (A.N.S.)पर किसी का भी नियंत्रण नहीं होता है (Involuntary)| इस तंत्र का प्रमुख कार्य होता है-ह्रदय की धडकन को अनवरत जारी रखना(Heart beating),श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया(Respiration),भोजन के पाचन की क्रिया(Digestion),मुंह में लार का बनना(Salivation),पसीना आना( Perspiration),आँख की पुतली का फैलना(Pupillary dilatation),पेशाब और शौच की क्रिया(Micturation and defaecation) तथा समागम की इच्छा होना(Sexual arousal) आदि |यह तंत्र मस्तिष्क (Brain)के Medulla oblongata और Lower brain stem में स्थित होता है | इस तत्र से संबधित कई Ganglia होते हैं जहाँ से दो प्रकार की Nerves निकलती है-Sensory और Motor nerves|Sensory nerves संकेतों(Signals) को Medulla oblongata तक पहुंचाती है जबकि Motor nerves प्रतिक्रिया स्वरुप कर्म करने के संकेत संबधित मांस पेशियों (Muscles)को प्रेषित करती है |उदहारण स्वरुप अगर कोई व्यक्ति गर्मी के वातावरण में रहता है तो Sensory nervves,Medulla oblongeta तक शरीर को गर्मी लगने के संकेत भेजती है |तुरंत ही Medulla से Motor nerves के माध्यम से खून की नलियों (Blood vessels)की मांसपेशियों(Circular muscles) को संकेत भेजे जाते हैं|परिणामस्वरूप खून की नलियों का व्यास(Diameter) बढ़ जाता है और साथ ही खून का प्रवाह (Blood flow)भी|जिसके कारण हमें पसीना आता है और शरीर का तापक्रम तुरंत ही नियंत्रण(Temprature control) में आ जाता है |
स्वतन्त्र तंत्रिका तंत्र (A.N.S.)की यही विशेषता है कि यह अपने आप कार्य करता है और सम्बंधित व्यक्ति को इसका अहसास भी नहीं होता |परिधीय तंत्रिका तंत्र(P.N.S.) का दूसरा प्रकार होता है -कायिक तंत्रिका तंत्र(Somatic nervous system) |इसके अंतर्गत केवल Nerves ही आती है ,जो चार प्रकार की होती है -
1.Sensory nerves
2.Motor nerves
3.Cranial nerves
4.Spinal nerves
तंत्रिका-तंत्र से जो भी Nerves निकलती है वे सभी संकेतों को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का कार्य करती है|उदाहरणार्थ अगर आपकी अंगुली किसी तेज गर्म वस्तु से छू जाती है तो इन Nerves के माध्यम से संकेत तुरंत मुख्य तंत्रिका-तंत्र तक पहुँच जाते हैं और प्रतिक्रिया स्वरुप वहाँ से भेजे गए संकेत वापिस त्वरित गति से वहाँ पहुंचकर मांसपेशियों को हाथ वहाँ से हटाने का आदेश देते हैं |
सभी Nerves परिधीय तंत्रिका तंत्र(Peripheral nervous system) का भाग होती है|इनके माध्यम से ही सभी कार्य सम्पादित होते हैं|12 जोड़े cranial nerves के होते हैं और अन्य Nerves सुषुम्ना नाडी(Spinal cord) से निकलती है |Nervesभी कार्य के अनुसार दो प्रकार की होती है-sensory और motor|Sensory nerves हमें ताप,ठण्ड,दर्द,छूने इत्यादि का ज्ञान करवाती है ,जबकि Motor nerves हमारी मांसपेशियों को संकेत पहुंचाकर कार्य करवाती है|उदाहरणार्थ अगर हमारे पांव में कोई कील चुभती है तो वहाँ से संकेत Sensory nerves के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचते हैं और हमें कील चुभने पर दर्द का अनुभव होता है|प्रतिक्रिया स्वरुप मस्तिष्क Motor nerves के माध्यम से पांव की मांसपेशियों को संकेत भेजता है जिससे पांव की मांसपेशियां तुरंत अपना कार्य करती हुई पांव को उस कील से दूर हटा देती है|
सभी Nerves अपने आखरी छोर(End point) पर Synapses बनाती है,जिससे संकेत (Signals)आगे की Nerves अथवा Target cells को पहुंचाए जाते हैं |
क्रमश:
|| हरिः शरणम् ||
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