Saturday, February 18, 2023

स्वभाव -कल से आगे

 स्वभाव 

कल से आगे

     मनुष्य को जन्म से जो स्वभाव मिला है, उसके अनुसार ही वह जीवन में कर्म करता है।उसका स्वभाव बदल नहीं सकता।मनुष्य लाख प्रयास कर ले अथवा कोई दूसरा व्यक्ति उसका स्वभाव परिवर्तित का कितना ही प्रयास कर ले, स्वभाव बदल नहीं सकता। उसका आहार, व्यवहार आदि सब कुछ स्वभावानुसार ही रहते हैं।

स्वभावो न उपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ।

सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥

उपदेश देकर स्वभाव बदला नहीं जा सकता । पानी को खूब गर्म करने के बाद, वह फिर से (अपने स्वभावानुसार) शीत हो ही जाता है ।

हेलया राजहंसेन यत्कृतं कलकूजितम् ।

न तद् वर्षशतेनापि जानात्याशिक्षितुं बकः ॥

राजहंस सहज जो नाजुक कलरव करता है, वैसा कलरव सौ साल तक प्रयत्न करनेवाला बगुला नहीं कर सकता ।

      जन्मजात स्वभाव में परिवर्तन नहीं हो सकता। हाँ, अच्छे कर्म करके नए संस्कार लिए जा सकते हैं।वे संस्कार ही अगले मनुष्य जीवन में स्वभाव बनकर वर्ण निश्चित करेंगे।अतः जिस वर्ण में जन्म मिला है, उसी वर्ण में अपने स्वभाव के अनुरूप जियें और अच्छे कर्म करते हुए नए संस्कार बनाएं।

प्रस्तुति -डॉ. प्रकाश काछवाल

।। हरि:शरणम्।।

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