Sunday, April 27, 2014

सत्य की खोज|

"माचिस की जरूरत यहाँ नहीं पड़ती,
क्योंकि यहाँ आदमी से आदमी जलता  है ।
दुनियां के बड़े से बड़े वैज्ञानिक यह ढूंढने में लगे हैं कि
मंगल पर जीवन है या नहीं ,
पर कोई यह नहीं ढूंढता कि जीवन में मंगल है या नहीं ।"
                             आज सुबह सुबह भूपेंद्र की पोस्ट फेसबुक पर पढ़कर दिल को छू गई । बड़ी ही मार्मिक बात  कही है । आज हम कहाँ को , किधर से और किस लिए जा रहे हैं ,इसका ज्ञान और भान किसी को भी  नहीं है । आधुनिक युग में हम वह सब हासिल करने की कोशिश में लगे है जो इस जिंदगी का सत्य नहीं है। और जो जिंदगी का सत्य है ,हम उसे खोते जा रहे हैं ।
                             सब कुछ अमन और चैन छोड़ कर अगर तथाकथित कोई उपलब्धि अगर भविष्य में हासिल भी कर ली तो उसकी कीमत बड़ी भारी चुकानी पड़ेगी । जीवन में सुख शांति से जीना ही प्रत्येक व्यक्ति का मकसद होता है । उपलब्ध शांति का परित्याग कर संभावित शांति के लिए दौड़ लगाना कहीं की भी समझदारी नहीं है ।
                      आज आवश्यकता है हम सत्य को पहचाने । सत्य से विमुख होना कहीं की भी समझदारी नहीं है । आज हम सब सत्य के बारे में बड़े ही भ्रमित हैं । जो इस संसार में सत्य है वह सब कहीं खोता जा रहा है । असत्य ,सत्य का मुखौटा लगाकर केवल घूम ही नहीं रहा बल्कि अपने को ही सत्य साबित करने में लगा हुआ है । इसीलिए आज चारों ओर हमें सत्य ही सत्य नज़र आ रहा है ,जबकि वास्तव में वह सत्य नहीं है ।  जब तक हम असत्य का छद्म वेश नहीं पहचानेंगे तब तक हम सत्य से कोसों दूर ही बने रहेंगे । सबसे बड़ी विडम्बना यह है की सत्य के रूप में असत्य को पहचान कर भी हम उसे ही सत्य स्वीकार करने और मानने  को विवश है । यह किसी भी धर्म  के प्रभाव को न समझ पाने की पराकाष्ठा ही तो है । इसी कारण  से आज चारों ओर संसार में सभी लोग हिन्दू सनातन धर्म का उपहास कर रहे है । अत्यंत दुःख की बात है की इस उपहास करने में सबसे बड़ी भूमिका हमारे हिन्दू और सनातन भाईयों की  हैं ।
                    अतः आवश्यकता है कि हम हमारी जड़ों की और लौटे । बिना जड़ों को मज़बूती प्रदान किये कोई भी वृक्ष आसमान की बुलंदियों तक नहीं पहुँच सकता । सत्य को पहचानो और जाग उठो । आप ही दुनियां में सवश्रेष्ठ हो । यही सनातन धर्म का सनातन सत्य है ।
                     आज भूपेंद्र की पोस्ट ने मुझे प्रेरित किया है कि मैं सत्य और असत्य पर भी कुछ कहूँ । हो सकता है आप मेरे विचारों से सहमत नहीं हो ,फिर भी मेरा प्रयास यही होगा कि मेरे शास्त्रों ने सत्य को किस प्रकार परिभाषित किया है ,उसे सरल भाषा में आपके समक्ष प्रस्तुत करूँ ।
कल से "सत्य -असत्य "…।
                                           || हरिः शरणम् || 

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