Wednesday, April 2, 2014

इच्छाशक्ति |

                 इच्छाशक्ति आत्मा और मन का संयोग। जीवन में सफलता और विफलता के निर्णायक तत्वों में इच्छाशक्ति का स्थान सर्वोपरि है। इच्छाशक्ति के माध्यम से व्यक्ति असंभव लगने वाले कार्यो को संभव बना सकता है। इच्छाशक्ति के अभाव में व्यक्ति सब कुछ होते हुए भी दुर्भाग्य का रोना रोता रहता है।
                 इच्छाशक्ति का अभाव जीवन की विफलताओं और संकटों का मूल कारण है। इसके रहते व्यक्ति छोटी-छोटी आदतों व वृत्तियों का दास बनकर रह जाता है। छोटी-छोटी नैतिक व चारित्रिक दुर्बलताएं जीवन की बड़ी-बड़ी त्रसदियों को जन्म देती हैं। इच्छाशक्ति की दुर्बलता के कारण ही व्यक्ति छोटे-छोटे प्रलोभनों के आगे घुटने टेक देता है और उतावलेपन में ऐसे-दुष्कृत्य कर बैठता है कि बाद में पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं लगता।
                     जीवन की इस मूलभूत त्रासदी की स्वीकारोक्ति महाभारत में दुर्योधन के मुख से भगवान श्रीकृष्ण के सामने होती है- 'धर्म को, क्या सही है, इसको मैं जानता हूं, किंतु इसे करने की ओर मेरी प्रवृत्ति नहीं होती। इसी तरह अधर्म को, जो अनुचित व पापमय है, इसको भी मैं जानता हूं, किंतु इसको करने से मैं नहीं रोक सकता।'
                     दुर्योधन की इस स्वीकारोक्ति में मानवीय इच्छाशक्ति की दुर्बलता व विफलता का मर्म निहित है। जीवन की सफलता के लिए एकमात्र रास्ता इच्छाशक्ति का विकास रह जाता है। इसके विकास से पूर्व प्रथम यह जानना उचित होगा कि इच्छाशक्ति है क्या? दर्शनकार की भाषा में यह माया यानी प्रकृति से संयुक्त होने वाली आत्मा की प्रथम अभिव्यक्ति है।
                     स्वामी विवेकानंद के शब्दों में- इच्छाशक्ति आत्मा और मन का संयोग है। व्यवहारिक जीवन में इच्छाशक्ति मन की वह रचनात्मक शक्ति है, जो निर्णित क्रिया को एक निश्चित ढंग से करने की क्षमता देती है। इच्छाशक्ति के विकास के संदर्भ में दूसरा तथ्य यह है कि इसको प्रत्येक व्यक्ति द्वारा बढ़ाया जा सकता है। इच्छाशक्ति के विकास में एकाग्रता बहुत सहायक है। हम जो भी कार्य करें, उसे पूरे मन से करें। इससे इच्छाशक्ति के विकास में बहुत सफलता मिलेगी। साथ ही ऐसे कार्यो से बचें, जिनमें ऊर्जा अनावश्यक क्षय होती है। स्पष्ट है, जब आप आत्मजागरण, आत्म-विकास व ईश्वरभक्ति में संलग्न होंगे, उतना ही इच्छाशक्ति के विकास का पथ प्रशस्त होता जाएगा और उतना ही हमारा जीवन सुख, शांति व सफलता से परिपूर्ण होता जाएगा।
                                || हरिः शरणम् ||

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