Tuesday, July 16, 2019

गुरु वंदना

जीवन में सुख-दुःख, लाभ-हानि, जय-पराजय आदि कई प्रकार के उतार चढ़ाव आते जाते रहते हैं | जो व्यक्ति सभी सम-विषम परिस्थितियों से परे रहता है, प्रभावित नहीं होता, वही सही मायने में जीवन में सहज अवस्था में रह सकता है | ऐसा होना तभी संभव हो सकता है जब व्यक्ति को उचित और सही मार्गदर्शन मिले | सहजता का मार्ग दिखलाने वाले को ही गुरु कहा जाता है | जब हम अपनी बुद्धि से सीखने में विफल हो जाते हैं तब हमें गुरु की आवश्यकता पड़ती है | इससे विपरीत जो व्यक्ति जीवन में प्रत्येक घटना, प्रत्येक प्राणी अपनी बुद्धि के माध्यम से कुछ न कुछ सीख ग्रहण कर लेता है, वही उसका गुरु हो जाता है | कहने का अर्थ है कि माध्यम चाहे जो भी हो उनसे हम कुछ न कुछ सीख ग्रहण कर सकते हैं और वे सभी हमारे गुरु हो जाते हैं | गुरु चाहे एक हो अथवा अनेक, सभी आदरणीय, प्रातः स्मरणीय और सम्माननीय होते हैं | वे केवल एक दिन के लिए वन्दनीय नहीं होते बल्कि हमारे लिए प्रत्येक दिन उनका स्मरण करना आवश्यक है | फिर भी आज गुरु पूर्णिमा के दिन उनको विशेष रूप से स्मरण करने का अवसर मिला है | इस अवसर पर मैं अपने उन समस्त गुरुओं का ह्रदय से आभार प्रकट करते हुए उनको दंडवत प्रणाम करता हूँ |
          श्री कृष्णं वन्दे जगद्गुरु |
|| हरिः शरणम् ||
-डॉ.प्रकाश काछवाल

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