Friday, December 23, 2016

आलोक-अनुभूति-6

आलोक-अनुभूति-6 
दूसरा प्रश्न-
क्या परमात्मा को प्राप्त करना एक कामना नहीं है ?
यह सत्य है कि परमात्मा को प्राप्त करने की इच्छा रखना भी एक कामना है | शत प्रति शत सत्य है, ऐसा कहना | परमात्मा को पाने के लिए प्रथमतः तो अशुभ कामना का सर्वथा त्याग करना पड़ता है और शुभ कामना को धारण करना होता है | परमात्मा किसी भी उस व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो सकता जिसके मन में किसी भी प्रकार की कोई कामना शेष है | अशुभ कामना से शुभ कामना की और प्रस्थान करना परमात्मा को प्राप्त करने की राह का एक कदम मात्र है | परमात्मा को प्राप्त करने के लिए अंत में इस शुभ कामना को भी त्याग देना होता है |
परमात्मा को प्राप्त करने की कामना मन में पैदा होने में मुख्य भूमिका बुद्धि की रहती है | मन पर बुद्धि का नियंत्रण ही अध्यात्म की यात्रा है | मन पूरा प्रयास करता है, बुद्धि को पुनः अपने नियंत्रण में लेने का | इस कार्य में सांसारिक सुख और पारिवारिक परिदृश्य उसे सहयोग करता है | इसीलिए यह आवश्यक है कि मन में ऐसी किसी भी कामना को स्थान न मिले जो आपको परमात्मा से विमुख कर पुनः संसार में लौटा लाये | अतः प्रारम्भ काल में मन में सांसारिक कामना के स्थान पर परमात्मा को प्राप्त करने की कामना रखना अनुचित नहीं है |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||

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