Wednesday, December 21, 2016

आलोक-अनुभूति-4

आलोक-अनुभूति-4
इस प्रथम प्रश्न का तीसरा भाग है, बुद्धि से सम्बंधित | बुद्धि का सम्बन्ध अवश्य ही मानव मस्तिष्क से है | विज्ञान कहता है कि सृष्टि के विकास के साथ ही मनुष्य की बुद्धि का विकास भी होता है | यदि इस बात को सत्य मान भी लिया जाये तो फिर यह प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है कि मनुष्य के अतिरिक्त अन्य प्राणियों की बुद्धि का विकास क्यों नहीं हो पाया ? कुछ समय के लिए अगर हम विज्ञान को एक तरफ रख कर ज्ञान की दृष्टि से देखें तो जान पाएंगे कि प्रत्येक मानव जन्म में की गई कामनाओं को पूरा करने के लिए ही जन्म दर जन्म मनुष्य की बुद्धि का विकास हुआ है | मनुष्य को छोड़कर किसी भी अन्य प्राणी के सम्पूर्ण जीवन काल में कभी भी उसके भीतर किसी भी प्रकार की कामना पैदा ही नहीं होती है | इस कारण से उनकी बुद्धि का विकास नहीं हो सका | बुद्धि के विकास के लिए मन में कामना का जन्म लेना आवश्यक है |
हमारे ऋषि-मुनि कहते हैं कि प्रत्येक कामना का पूर्ण होना केवल उस एक जन्म में होना असंभव है जिस जन्म में वह कामना की गई है तथा साथ ही साथ यह भी सत्य है कि जीवन में एक कामना पूरी होते ही कई नई कामनाएं जन्म लेती रहती है | इस प्रकार प्रत्येक कामना की पूर्ति के लिए कई जन्म लेने आवश्यक हैं और उन कामनाओं को पूर्ण करने के लिए बुद्धि का भी विकसित होना आवश्यक है | इसी कारण से मनुष्य समय और कामना के अनुरूप अपनी बुद्धि को विकसित करता चला गया | यह प्रक्रिया आदिकाल से सतत चलती आ रही है और आज भी मनुष्य की विकसित हुई बुद्धि कामनाओं को पूरा करने में ही लगी हुई है और वह उसका सतत उपयोग भी कर रहा है | अब यह उसके विवेक पर निर्भर है कि वह इस बुद्धि का उपयोग भौतिकता के लिए करता है अथवा आध्यात्मिकता के लिए |
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ.प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||

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