Sunday, December 25, 2016

ग्रहण-1

ग्रहण –1
               हिंदी का शब्द “ग्रहण” | इसका उपयोग जिस स्थान पर और जिस परिस्थिति में किया जाता है, इसका अर्थ उसी अनुरूप हो जाता है | ‘पाणिग्रहण’ शब्द सुनते ही आपके समक्ष एक विवाह समारोह का दृश्य उपस्थित हो जाता है और ‘ग्रहण-शक्ति’ सुनते ही आप सामने वाले या स्वयं की कुछ प्राप्त करने की क्षमता की कल्पना करने लगते हैं | सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण सुनते ही सूर्य या चंद्रमा के खंडित दिखाई देने का दृश्य आपको अपने भीतर दृष्टिगोचर होने लगता है | यह शब्द मुख्यतः कुछ प्राप्त  करने की क्षमता के लिए प्रयोग में लिया जाता है परन्तु जब यह किसी अन्य शब्द के साथ संयुक्त हो जाता है, तब इसका अर्थ बदल जाता है |
           मैं कोई हिंदी का प्राध्यापक नहीं हूँ और न ही हिंदी का विद्वान | इस शब्द की ओर जब ध्यान दिया तब जो भी विचार मेरे मन में आये, वे मैंने आपके समक्ष व्यक्त किये हैं | मैं बात कर रहा हूँ उस शब्द ग्रहण की. जिसका उपयोग हम जिंदगी में प्रारंभ से करते आ रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे | जब हमें अपने उद्देश्य में निश्चित सफलता  प्राप्त नहीं होती, तब हम कहते हैं कि हमारी अक्ल को ग्रहण लग गया और कभी कहते हैं कि किस्मत को ही जब ग्रहण लगा हुआ था तब हम कर ही क्या सकते हैं ? इस ग्रहण शब्द का वही अर्थ हो जाता है जो सूर्य और चंद्रमा के साथ लगने पर होता है | सूर्य या चन्द्र ग्रहण में इन दोनों की कांति क्षीण होती है, उसी प्रकार दैनिक जीवन में ग्रहण शब्द व्यक्ति की कमजोर मानसिकता को ही प्रदर्शित करता है |
              आइये, अब मुख्य विषय की ओर चलते हैं | सूर्य और चन्द्र के खंडित दिखाई देने को उस पर ग्रहण लगना ही क्यों कहते हैं ? अंग्रेजी भाषा में वह शब्द ग्रहण का अर्थ होता है To receive और इस सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण को Eclipse कहा जाता है | परन्तु हिंदी में प्राप्त हो जाने को भी ग्रहण होना कहते हैं और सूर्य व चन्द्र के खंडित होने  को भी ग्रहण होना कहते हैं | आज हम चर्चा करेंगे, उस  ग्रहण की, जो सूर्य अथवा चन्द्रमा पर लगता है | इस सूर्य और चन्द्र-ग्रहण का सम्बन्ध विज्ञान से भी है और ज्ञान से भी | मैंने पूर्व के लेखों में अपनी यह भावना अनेकों बार व्यक्त की हैं कि हमारे वैदिक शास्त्रों में सभी बातें केवल कपोल-कल्पित नहीं है, बल्कि उनके पीछे कोई न कोई मर्म अवश्य छुपा है  और यही बात सूर्य और चन्द्र-ग्रहण के बारे में कहने जा रहा हूँ | कृपया ध्यान दीजिये, मैं वह बात कहने जा रहा हूँ जो आज विज्ञान कह रहा है और पूर्व में हमारे पूर्वजों ने इसको आध्यात्मिक दृष्टि से शास्त्रों में लिख दिया था |
क्रमशः 
प्रस्तुति-डॉ.प्रकाश काछवाल 

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