Thursday, April 11, 2019

रामकथा-46-रामावतार के हेतु-


रामकथा-46-रामावतार के हेतु-
      असुर किसको कहते हैं?असुरों के कोई सींग पूंछ नहीं होते, यह सब जो चित्रों में दिखाया जाता है,सब काल्पनिक है।असुर भी दिखने में साधारण मनुष्यों की भांति ही होते हैं। केवल गुण और अवगुण की मनुष्य में उपस्थिति ही उसे सुर अथवा असुर दोनों में से किसी एक श्रेणी में रखती है। इसी आधार पर गोस्वामी जी ने मानस में असुरों की परिभाषा स्पष्ट की है-
बाढ़े खल बहु चोर जुआरा।
जे लंपट परधन परदारा।।
मानहिं मातु पिता नहीं देवा।
साधुन्ह सन करवाहिं सेवा।।
जिन्ह के यह आचरन भवानी।
ते जानेहु निसिचर सब प्रानी।।1/184/1-3।।
खल,चोर, जुआरी,पराए धन और पराई स्त्री पर दृष्टि रखना, माता-पिता की अवहेलना करना, सज्जन पुरुषों से अपनी सेवा करवाना आदि प्रकार के आचरण करने वाले सभी व्यक्ति असुरों की श्रेणी में आते हैं।त्रेता में ऐसे प्राणी जब बढ़ने लगे तब धरा के लिए उनका बोझ असहनीय हो गया।पृथ्वी भी उस टीम में शामिल थी जिसमें देवता आदि सभी ब्रह्माजी के पास सहायता के लिए पहुंचे थे।ब्रह्माजी ने इसके लिए श्रीहरि के पास प्रार्थना पत्र देने को कहा। परंतु कहाँ मिलेंगे श्रीहरि?
हरि ब्यापक सर्बत्र समाना।
प्रेम तें प्रगट होहि मैं जाना।।
     ब्रह्माजी सहित सभी देवता,पृथ्वी आदि सामूहिक रूप से सस्वर मन से श्रीहरि को पुकारने लगे।जय जय सुरनायक जन सुख दायक प्रनत पाल भगवंता.....।श्रीहरि को आना तो था ही, वे तो केवल अपने भक्तों की पुकार सुनने को ही आतुर थे। तत्काल ही आकाशवाणी हुई-"कश्यप अदिति, मनु शतरूपा को मैंने पूर्व में वरदान दिया था जोकि अभी अयोध्या में दशरथ कौशल्या के रूप में हैं, कि मैं उनका पुत्र बनकर अवतार लूंगा। साथ ही मुझे अपने परम भक्त नारद के वचनों को भी सत्य सिद्ध करना है।ऋषियों के दिये श्राप से बने असुर भूमि के लिए भार बन चुके हैं, उनसे भी मुक्ति दिलानी है।आप सभी निर्भय होकर अपने निवास और कार्य पर जाओ।आपका कार्य शीघ्र ही सिद्ध होगा।"श्रीहरि ने सभी को भयमुक्त करने के लिए ये वचन कहे। सभी उनके द्वारा हुई आकाशवाणी को सुनकर बड़े प्रसन्न हुए। ब्रह्माजी अपने लोक को चले गए।शेष सभी भी अपने अपने स्थान पर लौट गए और प्रभु के अवतरण की प्रतीक्षा करने लगे।
    तो आइए, हम भी चलते हैं, अयोध्या की ओर, जहां परमब्रह्म साकार रूप लेकर राम के नाम से अवतरित होने वाले हैं।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।

1 comment:

  1. लग रहा है प्रभु जन्म राम नवमी को ही करेंगे आप कथा में भी
    ॐ हरी शरणम

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