Thursday, December 4, 2025

भूख -3

 भूख -3

            आध्यात्मिक भूख को शांत करने के लिए भटकने वाला जीव कभी भी आध्यात्मिक नहीं हो सकता। हां, आध्यात्म की भूख की एक सीमा शांत तक है।

         सांसारिक भूख भी तीन प्रकार की होती है - शारीरिक (स्थूल शरीर की), मानसिक (सूक्ष्म शरीर की) और सामाजिक। शारीरिक भूख भी दो प्रकार की होती है - आवश्यकता है भूख और इच्छा की भूख। शरीर को ऊर्जायुक्त बनाए रखने के लिए जो भूख पैदा करता है, उसे भूख की आवश्यकता होती है। यह भूख भोजन के रूप में अन्न-जल ग्रहण करने पर एक बार के लिए शांत हो जाता है। जब शरीर को पुनः ऊर्जा की आवश्यकता होती है तो यह भूख फिर जागती है।

           दूसरी शारीरिक भूख है, वासनामय भूख। यह स्पर्शजन्य भूख है। प्रथम बार किसी विषय के इन्द्रिय-स्पर्श से जो सुख की अनुभूति होती है, जीव वही सुख को बार-बार अनुभव करना चाहता है। इस प्रकार उसी सुख को पुनः प्राप्त करने की भूख पैदा होती है। कमर दर्द ही बार इंद्रिय को विषय रूपी भोजन मिल जाए फिर भी यह भूख शांत नहीं होती बल्कि हर बार इसकी एंजल्स मजबूत होती है। इस प्रकार यह भूख जीवन में कभी भी शांत नहीं होता। यहां तक ​​कि शरीर के कैंसर होने से भी भूख खत्म नहीं होती। तब वह भूख शारीरिक स्तर को ठीक करने के लिए मानसिक स्तर पर स्थानांतरित हो जाती है। जो व्यक्ति शरीर के स्तर पर भोग नहीं लगाता, वह अब मानसिक स्तर पर भोगने लगता है। इस प्रकार आध्यात्मिक भूख शारीरिक से मानसिक भूख तक का अध्ययन किया जाता है।

क्रमशः 

मॉन्स्टर - डॉ. प्रकाश काछवाल

।। हरिः शरणम् ।।

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