रामकथा-कुछ अनछुए प्रसंग-2
राम कहानी मनुष्य जिसका नाम राम है की एक कहानी है जबकि राम कथा भगवान राम के अवतरण की लीला का वृतांत है।राम के जीवन की कहानी कुछ वाक्यों को कहकर समाप्त हो सकती है जबकि रामकथा कई युगों तक कहने,सुनने और लिखने से भी समाप्त नहीं हो सकती।राम कथा बतलाती है कि ब्रह्म ने राम के रूप में अवतार क्यों लिया, क्यों उनको युवावस्था की दहलीज पर पैर रखते ही वैराग्य हो गया, सीता विवाह और धनुष भंग क्यों हुआ? क्यों राज्याभिषेक के बदले उनका वन गमन हुआ,गंगा नदी के पार जाने में केवट की ही सहायता क्यों लेनी पड़ी,चित्रकूट जहां भरत मिलाप भी हुआ था,उनकी चरण रज से पवित्र हुआ वह स्थान आज भी क्यों पवित्र माना जाता है, गोदावरी के तट पर आज भी लताएं सीता के चरण को छूने की लालसा में क्यों दोहरी हुई जा रही है? मारीच बना था स्वर्णमृग, आखिर क्यों? क्या रहस्य है, इसके पीछे? सीताहरण, राम का विरह, शबरी से मिलन,भक्त (हनुमान) का भगवान से मिलन, सुग्रीव से मित्रता, बाली दलन,लंका दहन,लखन मूर्च्छा,रावण मरण, राज्याभिषेक,सीता परित्याग आदि सभी मार्मिक कथाओं में बहुत से रहस्य छुपे हैं। अतः रामकथा पढ़ सुन कर उस पर मनन करना आवश्यक है।
राम की कहानी तो केवल इन चार वाक्यों में भी कही जा चुकी है-
आदौ राम तपोवनादिगमनं, हत्वा मृगा काञ्चनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं, सुग्रीव सम्भाषणम् ।।
बाली निर्दलनं समुद्र तरणं, लंकापुरी दाहनम् ।
पश्चात् रावण कुम्भकरण हननं, एतेदि रामायणं ।।
परंतु राम कथा को केवल इतने से वाक्यों में नहीं कहा जा सकता।उसके लिए तो चिंतन, मनन, सत्पुरुषों से चर्चा और सत्संग की आवश्यकता होती है।कहानी केवल सुनी जाती है जबकि कथा गुणी (गुणों में वृद्धि)जाती है।कहानी हमारे मन को खुश कर सकती है, मन का रंजन (मनोरंजन) कर सकती है जबकि कथा मन को विश्राम देती है, हमें परम विश्राम की अवस्था (परमात्मा) तक ले जा सकती है।जीवन मुक्त केवल कहानियां सुनकर नहीं हुआ जा सकता । जीवन के रहते मुक्ति मिलती है, कथा को मन से सुनकर और उसे जीवन में उतारकर। तो कल से चलते हैं, इस रामकहानी को यहीं पर छोड़कर रामकथा की ओर ।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
राम कहानी मनुष्य जिसका नाम राम है की एक कहानी है जबकि राम कथा भगवान राम के अवतरण की लीला का वृतांत है।राम के जीवन की कहानी कुछ वाक्यों को कहकर समाप्त हो सकती है जबकि रामकथा कई युगों तक कहने,सुनने और लिखने से भी समाप्त नहीं हो सकती।राम कथा बतलाती है कि ब्रह्म ने राम के रूप में अवतार क्यों लिया, क्यों उनको युवावस्था की दहलीज पर पैर रखते ही वैराग्य हो गया, सीता विवाह और धनुष भंग क्यों हुआ? क्यों राज्याभिषेक के बदले उनका वन गमन हुआ,गंगा नदी के पार जाने में केवट की ही सहायता क्यों लेनी पड़ी,चित्रकूट जहां भरत मिलाप भी हुआ था,उनकी चरण रज से पवित्र हुआ वह स्थान आज भी क्यों पवित्र माना जाता है, गोदावरी के तट पर आज भी लताएं सीता के चरण को छूने की लालसा में क्यों दोहरी हुई जा रही है? मारीच बना था स्वर्णमृग, आखिर क्यों? क्या रहस्य है, इसके पीछे? सीताहरण, राम का विरह, शबरी से मिलन,भक्त (हनुमान) का भगवान से मिलन, सुग्रीव से मित्रता, बाली दलन,लंका दहन,लखन मूर्च्छा,रावण मरण, राज्याभिषेक,सीता परित्याग आदि सभी मार्मिक कथाओं में बहुत से रहस्य छुपे हैं। अतः रामकथा पढ़ सुन कर उस पर मनन करना आवश्यक है।
राम की कहानी तो केवल इन चार वाक्यों में भी कही जा चुकी है-
आदौ राम तपोवनादिगमनं, हत्वा मृगा काञ्चनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं, सुग्रीव सम्भाषणम् ।।
बाली निर्दलनं समुद्र तरणं, लंकापुरी दाहनम् ।
पश्चात् रावण कुम्भकरण हननं, एतेदि रामायणं ।।
परंतु राम कथा को केवल इतने से वाक्यों में नहीं कहा जा सकता।उसके लिए तो चिंतन, मनन, सत्पुरुषों से चर्चा और सत्संग की आवश्यकता होती है।कहानी केवल सुनी जाती है जबकि कथा गुणी (गुणों में वृद्धि)जाती है।कहानी हमारे मन को खुश कर सकती है, मन का रंजन (मनोरंजन) कर सकती है जबकि कथा मन को विश्राम देती है, हमें परम विश्राम की अवस्था (परमात्मा) तक ले जा सकती है।जीवन मुक्त केवल कहानियां सुनकर नहीं हुआ जा सकता । जीवन के रहते मुक्ति मिलती है, कथा को मन से सुनकर और उसे जीवन में उतारकर। तो कल से चलते हैं, इस रामकहानी को यहीं पर छोड़कर रामकथा की ओर ।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
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