Saturday, March 1, 2014

भ्रम का निवारण |

                                       एक राज परिवार अपनी रियासत में बड़े आनंद से सत्ता संचालन कर रहा था |उस राजपरिवार में तीन सदस्य थे |राजा,रानी और राजकुमार |सुखपूर्वक उनके दिन बीत रहे थे |अचानक एक दिन राजकुमार बीमार हो गया |राजा ने राजवैद्य से उसका आवश्यक उपचार शुरू करवाया |लेकिन उपचार के बाद भी राजकुमार स्वस्थ होने के स्थान पर और ज्यादा बीमार रहने लगा |दिन प्रतिदिन उसकी बीमारी बढती गई | अब राजा को उसकी मृत्यु का भय सताने लगा |उसने आसपास के राज्यों से सभी अच्छे चिकित्सकों को बुलाया और उनसे सही और सटीक मशविरा देने को कहा |सभी चिकित्सकों ने राजकुमार की भली-भांति जाँच की और एक अंतिम निर्णय पर पहुँच गए |मुख्य चिकित्सक ने राजा को बड़े ही विनम्र शब्दों में समझाया कि महाराज ,राजकुमार को एक असाध्य बीमारी ने जकड लिया है |इस बीमारी का आज तक ईलाज नहीं खोजा जा सका है ,यह बीमारी लाइलाज है |ज्यादा से ज्यादा राजकुमार की जिंदगी सात दिन की बची है |
                                       राजा और रानी चिकित्सक के मुंह से यह बात सुनकर हतप्रभ रह गए |राजा ने अपने आप को संभाला और रानी को यह सब विधि का विधान है यह सब समझाने लगा |परन्तु भीतर ही भीतर राजा,राजकुमार की संभावित मृत्यु को स्वीकार नहीं कर पा रहा था |सात दिन तो पंख लगाकर उड़ गए और अंत में राजकुमार की मृत्यु का दिन आ पहुंचा |रात हुई |राजा और रानी ,दोनों राजकुमार के पास बैठे उसकी मृत्यु का इंतज़ार कर रहे थे |राजा दिन भर का थका हुआ था |कुछ समय के लिए उसकी आँख लग गई |सोते ही गहरी नींद में राजा को स्वप्न दिखाई देने लगा |उसने स्वप्न देखा कि-
                              "वह एक बहुत ही विशाल देश का राजा है |उसके दरबार में छोटी मोटी कई रियासतों के राजा हाजरी देते हैं|उसकी रानी बहुत ही सुन्दर और विशाल ह्रदय वाली है |उनके सात अति सुन्दर राजकुमार है |राजा उन सबके साथ अपना जीवन बिता रहा है |बड़े आनंद में है वह |"
                                     तभी रानी के विलाप से उसकी नींद टूट जाती है और सभी राजकुमार,रानी और देश सब एक झटके के साथ गायब हो जाते है |सपना टूट जाता है,राजा जाग जाता है और वह देखता है कि रानी मृत राजकुमार की देह से लिपटकर रो रही है |राजा रोती हुई रानी को देख रहा है |कभी वह राजकुमार के शव को देखता है,कभी विलाप करती रानी को और फिर सोचता है ,अभी अभी टूटे स्वप्न में जो कुछ देखा उसके बारे में | वह समझ नहीं पा रहा था कि सातों राजकुमार और वह रानी कहाँ गए ? फिर सोचता है कि वह तो मात्र एक सपना था | जब विलाप करते करते रानी थक कर रोना बंद कर देती है तब उसे राजा का ख्याल आता है |वह देखती है कि राजा के चहरे पर दुःख के कोई भाव नहीं है |वह राजा को पूछती है -"क्या आपको राजकुमार की मृत्यु का कोई दुःख नहीं हुआ जो आप रो भी नहीं रहे है |"यह सुनकर राजा ने बड़े ही सधे हुए अंदाज़ में उत्तर दिया-"प्रिये!मैं यह सोच रहा हूँ कि इस राजकुमार की मृत्यु का शोक करूँ या उन सात राजकुमारों का जिनको मैंने अपने पुत्रों के रूप में सपने में देखा ?अब न तो वे सातों राजकुमार मेरे सामने है और न ही यह राजकुमार |मैं इस दुविधा में हूँ कि विलाप दोनों में से किसके लिए करूँ ?अगर वो सपना था तो क्या फिर यह भी एक सपना नहीं है ?"
                                       यह कहानी हमें यहीं छोडनी होगी क्योंकि हम सब जानते हैं कि रानी ने राजा को फिर क्या क्या कहा होगा | उनके समाज और देश ने राजा की आलोचना करते हुए क्या कहा होगा ? इस बात का परिणाम उन दोनों पर ही छोड़ देना उचित होगा क्योंकि ऐसी कथाएं मात्र मार्गदर्शन के लिए होती है,न कि परिणाम जानने के लिए |हमें भी इस कथा का विश्लेषण करना चाहिए कि राजा की इस दुविधा का कारण जान सके,समझ सके | यह सोचे कि राजा जिस दुविधा में है, क्या ऐसी  दुविधा हमारे सामने भी नहीं है ? राजा तो इस कहानी का एक पात्र मात्र है,वह दुविधा से निकले या फंसा रहे उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा |उसको तो वही कहना और करना है जैसा उस कथा का रचनाकार चाहेगा |और अच्छा रचनाकार वही होता है जो अपने मूल पात्र को दुविधा से निकालते हुए अपने पाठकों को एक सन्देश दे |
                             हम भी तो इस संसार रंगमंच के पात्र हैं| हम भी यहाँ सपने देखते है ,दुविधाग्रस्त होते हैं |हम सब का रचनाकार परमात्मा है, वह भी यही चाहता है कि हम इस दुविधा से उबरें |जैसे उपरोक्त कहानी के कथाकार ने सपने को तोड़ते हुए राजा को जगाया वैसे ही हमारा रचनाकार भी हमें नींद से जगाने का प्रयास करता है |परन्तु वास्तविकता के पात्र और कथा के पात्र में एक बहुत बड़ा अंतर होता है |कथा का पात्र यहाँ जागते हुए सपने नहीं देख रहा है |परन्तु इस संसार के सब पात्र जागते हुए भी सपने में खोये रहते है |ऐसे में वह दुविधा से बाहर कैसे निकले ? सोते हुए सपने देखने वाले को जगाना आसान है,जागते हुए सपने देखने वाले को जगाना बहुत ही मुश्किल है |सपना,मात्र भ्रम से अधिक कुछ भी नहीं है |संसार भी तो एक स्वप्न मात्र है ,इसीलिए यहाँ सब इसको ही सत्य मानते हुए भ्रमित हैं | अतः जिस प्रकार  सपने से बाहर आने के लिए जागना आवश्यक है वैसे ही इस भ्रम के निवारण के लिए भी एक तरह का जागरण जरूरी है |
                                        || हरिः शरणम् ||  

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