आत्मविश्वास। आज हर आदमी सुख की खोज में लगा है और उस थके-हारे इंसान के संदर्भ में दार्शनिक खलील जिब्रान को पढ़ना अच्छा लगता है। जिब्रान लिखते हैं, 'मैं भी कहता हूं कि जीवन सचमुच अंधकारमय है, यदि आकांक्षा न हो। सारी आकांक्षाएं अंधी हैं, यदि ज्ञान न हो। सारा ज्ञान व्यर्थ है, यदि कर्म का ज्ञान न हो। जब तुम प्रेम से प्रेरित होकर कर्म करते हो तब तुम स्वयं से बंधते हो, एकदूसरे से बंधते हो, भगवान से बंधते हो।'
जिब्रान के इस कथन में प्रेम का निहितार्थ आत्मविश्वास से है। इसी आत्मविश्वास के बल पर हम वह सब कर सकते हैं जो हम करना चाहते हैं। मैं अच्छा आदमी तभी बन सकता हूं, यदि मुझमें आत्मविश्वास है। दृढ़ निश्चय है। साहसपूर्ण निर्णायक क्षमता है। आशावादी दृष्टिकोण है। सकारात्मक सोच है। उत्साही मन है। ऊर्जस्वी पराक्रम है। मैं दुख में से सुख खोज लेना चाहता हूं और ऐसा सोचते हुए, आत्मविश्वास से भरकर सचमुच सुख खोज लेता हूं।
आज का आदमी समय के साथ चले, लेकिन उसे बुरे आचरण को छोड़कर अच्छी जिंदगी का सपना देखने का हक है। सोचना यह है कि हम गहराई में जमे बैठे संस्कारों को कैसे सुधारें? जड़ों तक कैसे पहुंचें? जड़ के बगैर सिर्फ फूल-पत्तों का क्या मूल्य? पतझड़ में फूल-पत्ते सभी झड़ जाते हैं, मगर वृक्ष कभी इस वियोग पर शोक नहीं करता। उसके पास जड़ की सत्ता सुरक्षित है, जिससे वसंत आने पर पुन: वृक्ष फूल-पत्तों से लहलहा उठते हैं। आज हमें भी आत्मविश्वास को मुकाम तक पहुंचाने के लिए मूल्यों को स्वयं में सहेजना होगा, बाहरी अवधारणाओं को बदलना होगा, जीने की दिशा को मोड़ देना होगा।
तभी बंधन ढीले पड़ेंगे और निर्माण का रास्ता साफ-सुथरा बन सकेगा। अंधेरा तभी तक डरावना है जब तक हाथ दीये की बाती तक न पहुंचे। आप एकदम से अपने आत्मविश्वास को प्राप्त नहीं कर सकते। अपने आप को अपना भविष्य निर्माता मानिए और फिर कार्य की शुरुआत कर दीजिए। अपने भविष्य की कल्पना कीजिए। सोचिए कि आज से एक वर्ष बाद, दो वर्ष बाद या पांच वर्ष बाद आप कहां पहुंचना चाहते हैं। जहां आपको मनचाही सफलता और जिंदगी हासिल हो। आपको यह मानना होगा कि आप बदल सकते हैं और उस बदलाव के लिए आपके पास पर्याप्त आत्मशक्ति है। एक चीनी कहावत है कि महापुरुषों में आत्मविश्वास होता है और दुर्बलों की केवल इच्छाएं।
|| हरिः शरणम् ||
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