संसार में जो कुछ भी हमें दिखाई दे रहा है और जो नहीं दिखाई दे रहा है, सब ऊर्जा ही है । जो दृश्य है वह एक दिन अदृश्य हो जाने वाला है और जो आज अदृश्य है वह कभी भी दृश्यमान हो सकता है । कई वर्षों से यह खेल निरंतर चला आ रहा है और आगे भी लाखों करोडो सालों तक निर्बाध गति से चलता रहेगा । हमें लगता है कि हम यह सब नहीं देख पाएंगे । लेकिन यहाँ हमारी सोच ही गलत है । हम सब भी जब एक ऊर्जा ही है तो इसका अर्थ यही हुआ कि हम भी कभी समाप्त नहीं होंगे । हम दृश्य से अदृश्य और फिर पुनः दृश्य होते रहेंगे । इस प्रकार यह क्रम निरंतर चलता रहेगा ।
किसी भी दृश्य को देखने के लिए प्रकाश,दृष्टि और दृश्य तीनों का होना आवश्यक है । तीनों में से किसी एक की अनुपस्थिति से हम दृश्य को देख नहीं सकेंगे । दृश्य का भौतिक रूपसे उपस्थित होना हमारे वश में नहीं है । वह प्रकृति के ऊपर निर्भर करता है । लेकिन जब प्रकृति किसी भी भौतिक दृश्य का निर्माण कर देती है तब उसे हम अपनी दृष्टि से उसे देख सकते हैं । हमारी दृष्टि हमारी आँखे होती है,जिसके पटल पर उस दृश्य का प्रतिबिम्ब बनता है । उस प्रतिबिम्ब को संवेदी तंत्रिका द्वारा संकेत के रूप में पश्च मस्तिष्क को सन्देश पहुँचाया जाता है । वहाँ मस्तिष्क इन संकेतों को पुनः प्रतिबिम्ब में बदलकर हमें उस दृश्य के होने का आभास दिलाता है ।
दृश्य से दृष्टि तक का इस प्रतिबिम्ब का सफ़र बिना प्रकाश के सम्भव नहीं है। जब प्रकाश किसी वस्तु या व्यक्ति पर गिरता है तब वह उससे टकराकर चारों और फैलता है। जब यह प्रकाश उस दृश्य के संकेतों को अपने साथ लेकर दृष्टि में प्रवेश करता है तब दृष्टिपटल पर उस दृश्य का प्रतिबिम्ब बनता है । प्रकाश का अपना कोई रंग नहीं होता है परन्तु यह सात रंगो में विभाजित होने की क्षमता रखता है । जब वह किसी दृश्यमान वस्तु पर पड़ता है तो उस प्रकाश का काफी हिस्सा उस वस्तु द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और जो प्रकाश परावर्तित होता है वह प्रकाश जिस रंग का होता है वही रंग उस वस्तु का हमें दिखाई देता है । इस प्रकार हमें चाहे प्रकाश का कोई रंग दिखाई नहीं देता हो परन्तु वह मूल रूप से सात रंगों का मिश्रण होता है । ये रंग होते हैं-बैंगनी,नीला,आसमानी,हरा,पीला,नारंगी और लाल । जिनमें मुख्य रूप से चार रंग ही होते है-नीला,पीला,हरा और लाल । इन चार रंगों से ही सभी रंग बनते है ।
हमारे जीवन में इन रंगों का बहुत महत्त्व है । जिंदगी बिना रंगों के कितनी बोझिल हो जाती है ,यह आप कल्पना कर सकते है । इस लिए अगर आपकी जिंदगी रंगों से सरोबार है तो इसका अर्थ यही है कि आप इस जीवन का आनंद ले रहे हैं । जैसे इंद्रधनुष आँखों को बहुत अच्छा लगता है क्योंकि प्रकाश के सभी रंग इसमे उपस्थित रहते हैं । रंग तो प्रकाश में भी यही सातों उपस्थित होते है परन्तु हम उसके स्रोत की तरफ क्षण भर के लिए भी देख नहीं सकते । जब यह प्रकाश चारों और फैलकर बिखर जाता है तब यही इंद्रधनुष बनकर आँखों को आराम देता है । आप भी अपनी जिंदगी के प्रकाश को सभी रंगों में बिखेरते हुए प्रेमपूर्वक बांटिये,आप सबको आनन्दित भी करेंगे और स्वयं भी आनन्दित होंगे । आज होली है,रंगों का त्योंहार,सबको बांटिये आनंद के रंग और आप भी डूब जाइये इन रंगों की मस्ती में । जिंदगी बोझिल नहीं है जितना आप समझते है,जरा सबके साथ प्रेम के रंग बांटिये आप स्वयं ही महसूस करेंगे ।
आप सभी को इन रंगो के साथ होली की ढेर सारी शुभ कामनाएँ । ईश्वर आपके जीवन में सातों रंग सदैव भरे हुए रखे ।
|| हरिः शरणम् ||
किसी भी दृश्य को देखने के लिए प्रकाश,दृष्टि और दृश्य तीनों का होना आवश्यक है । तीनों में से किसी एक की अनुपस्थिति से हम दृश्य को देख नहीं सकेंगे । दृश्य का भौतिक रूपसे उपस्थित होना हमारे वश में नहीं है । वह प्रकृति के ऊपर निर्भर करता है । लेकिन जब प्रकृति किसी भी भौतिक दृश्य का निर्माण कर देती है तब उसे हम अपनी दृष्टि से उसे देख सकते हैं । हमारी दृष्टि हमारी आँखे होती है,जिसके पटल पर उस दृश्य का प्रतिबिम्ब बनता है । उस प्रतिबिम्ब को संवेदी तंत्रिका द्वारा संकेत के रूप में पश्च मस्तिष्क को सन्देश पहुँचाया जाता है । वहाँ मस्तिष्क इन संकेतों को पुनः प्रतिबिम्ब में बदलकर हमें उस दृश्य के होने का आभास दिलाता है ।
दृश्य से दृष्टि तक का इस प्रतिबिम्ब का सफ़र बिना प्रकाश के सम्भव नहीं है। जब प्रकाश किसी वस्तु या व्यक्ति पर गिरता है तब वह उससे टकराकर चारों और फैलता है। जब यह प्रकाश उस दृश्य के संकेतों को अपने साथ लेकर दृष्टि में प्रवेश करता है तब दृष्टिपटल पर उस दृश्य का प्रतिबिम्ब बनता है । प्रकाश का अपना कोई रंग नहीं होता है परन्तु यह सात रंगो में विभाजित होने की क्षमता रखता है । जब वह किसी दृश्यमान वस्तु पर पड़ता है तो उस प्रकाश का काफी हिस्सा उस वस्तु द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और जो प्रकाश परावर्तित होता है वह प्रकाश जिस रंग का होता है वही रंग उस वस्तु का हमें दिखाई देता है । इस प्रकार हमें चाहे प्रकाश का कोई रंग दिखाई नहीं देता हो परन्तु वह मूल रूप से सात रंगों का मिश्रण होता है । ये रंग होते हैं-बैंगनी,नीला,आसमानी,हरा,पीला,नारंगी और लाल । जिनमें मुख्य रूप से चार रंग ही होते है-नीला,पीला,हरा और लाल । इन चार रंगों से ही सभी रंग बनते है ।
हमारे जीवन में इन रंगों का बहुत महत्त्व है । जिंदगी बिना रंगों के कितनी बोझिल हो जाती है ,यह आप कल्पना कर सकते है । इस लिए अगर आपकी जिंदगी रंगों से सरोबार है तो इसका अर्थ यही है कि आप इस जीवन का आनंद ले रहे हैं । जैसे इंद्रधनुष आँखों को बहुत अच्छा लगता है क्योंकि प्रकाश के सभी रंग इसमे उपस्थित रहते हैं । रंग तो प्रकाश में भी यही सातों उपस्थित होते है परन्तु हम उसके स्रोत की तरफ क्षण भर के लिए भी देख नहीं सकते । जब यह प्रकाश चारों और फैलकर बिखर जाता है तब यही इंद्रधनुष बनकर आँखों को आराम देता है । आप भी अपनी जिंदगी के प्रकाश को सभी रंगों में बिखेरते हुए प्रेमपूर्वक बांटिये,आप सबको आनन्दित भी करेंगे और स्वयं भी आनन्दित होंगे । आज होली है,रंगों का त्योंहार,सबको बांटिये आनंद के रंग और आप भी डूब जाइये इन रंगों की मस्ती में । जिंदगी बोझिल नहीं है जितना आप समझते है,जरा सबके साथ प्रेम के रंग बांटिये आप स्वयं ही महसूस करेंगे ।
आप सभी को इन रंगो के साथ होली की ढेर सारी शुभ कामनाएँ । ईश्वर आपके जीवन में सातों रंग सदैव भरे हुए रखे ।
|| हरिः शरणम् ||
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