Thursday, May 5, 2016

क्षमा-याचना

आप सभी बंधु बांधवों को प्रणाम | आप सभी से मैं क्षमा चाहता हूँ कि इतने दिनों तक आप से दूर रहा | कुछ मेरी विवशताएँ भी थी और कुछ मेरा आलस्य भी | विवशताएँ भी ऐसी थी कि  बहुत चाहकर भी समय निकल नहीं पाया और जब समय मिला तब शरीर की क्षमता ने साथ नहीं दिया  | आखिर यह शरीर भी कितने दिन साथ देगा जो छः दशक तक इस संसार को झेल चूका है | संसार की ठोकरें व्यक्ति के शरीर को इतना तोड़ कर रख देती है कि आप विवश हो जाते हैं-कुछ भी करने के लिए और साथ ही कुछ नहीं करने के लिए भी |
              खैर, यह सब तो इस मानव जीवन का ही एक हिस्सा  है |इन दिनों मैं हरिः शरणम् आश्रम हरिद्वार की फेस बुक के पेज पर लिख रहा हूँ और साथ ही हरिः शरणम् सुजानगढ़ की फेस बुक भी संभाल रहा हूँ | आप इसके लिंक पर जाकर प्रतिदिन अथवा समय समय पर लिखी गई पोस्ट को पढ़ सकते हैं |अंग्रेजी में  लिंक इस प्रकार है-
harisharnam sujangarh
आप अपनी फेस बुक पर जाकर find friends को क्लिक कर इस पर डाली गई पोस्ट पढ़ सकते हैं |शीघ्र ही इस ब्लॉग पर लौटूंगा |
    आपका आभार |

No comments:

Post a Comment