अथ ब्रह्मा उवाच-5
और इधर बेचारा साधारण मनुष्य, जो सदैव रजस में ही रत रहता है, उसको पता भी
नहीं रहता कि कोई दो प्रकार की शक्तियों के मध्य, उसके स्वयं के भीतर भी एक युद्ध
चल रहा है | वह तो डूबा रहता है-अर्थ और काम में | अर्थ जितना इकट्ठा कर लूं, वही कम है | अर्थ, और
अर्थ, फिर भी और बहुत सारा अर्थ | बहुत सारा अर्थ इकट्ठा कर लिया फिर भी कम है संग्रहित
अर्थ | मनुष्य के जीवन में काम और अर्थ, अर्थ और काम, दोनों सदैव अपर्याप्त ही
रहते हैं |आज तक इस संसार में कोई भी मनुष्य इन दोनों से किसी एक से भी तृप्त नहीं
हुआ है, संतुष्ट नहीं हो पाया है | अर्थ, अर्थ करते करते सब अनर्थ और फिर यह
मानव-जन्म भी व्यर्थ |
इस प्रकार अर्थ और काम
में डूबे हुए मनुष्य को इस युद्ध का ज्ञान तभी हो पाता है, जब उस पर परमात्मा कृपा
करते हैं |जब मनुष्य पर परमात्मा कृपा करते हैं तभी उसको किसी गुरु का साथ मिलता
है, तभी उसे किसी संत का सानिध्य प्राप्त होता है | गुरु ही उसके भीतर सोचने और समझने की शक्ति को पुनः जागृत करता है | वह अपनी
स्मृति खो चूका होता है, इस काम और अर्थ में उलझकर |उसको गुरु इस अर्थ और काम के
चक्र से बाहर निकालने का रास्ता बताता है-साधना-पथ | बिना साधना के साध्य को कैसे
प्राप्त किया जा सकता है ? गुरु आपको साधक बनाकर साध्य को प्राप्त
करने का मार्ग अर्थात साधना करना बताता है |यही गुरु की भूमिका है | सोचने समझने
की शक्ति आपमें जन्म से ही होती है, गुरु आप की उस बुद्धि की कुंद पड़ी धार को तेज
करता है, आपको विवेकी बना देता है |
आइये अब पुनः लौटते हैं उसी
दृष्टान्त पर | मनुष्य, देवता और दानवों ने ब्रह्मा से ज्ञान के रूप में केवल “द” को प्राप्त
कर प्रसन्नचित्त होकर लौट आये | तीनों ने अपने अपने विवेकानुसार उसका रहस्य जानने
का प्रयास किया | मैंने इस लेख के आरम्भ में ही स्पष्ट कर दिया है कि प्रत्येक
व्यक्ति चाहे वह देवता, साधारण मनुष्य अथवा दानव की श्रेणी में आता हो, अपने भीतर
उपस्थित कमियों और बुराइयों को कभी भी विस्मृत नहीं कर पाता है |ज्ञान प्राप्त
होने के उपरांत वह इन सभी से पीछा छुड़ाने की कोशिश अवश्य करता है |ब्रह्माजी से
ज्ञान प्राप्त करने के उपरांत इन तीनों के साथ भी यही हुआ | हम जानते ही हैं कि
गुरु ज्ञान के माध्यम से हमारी कमियों, विकारों और बुराइयों को प्रकट करते हुए
उन्हीं पर चोट करते हैं |
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ.प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
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