आज मोक्षदा एकादशी है । आज ही के दिन कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में महाभारत युद्ध से पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्म-योग का ज्ञान दिया था। यह ज्ञान श्रीमद्भगवद्गीता में संकलित है । यह ज्ञान द्वापरयुग के अंत में और कलियुग के प्रारम्भ से कुछ समय पूर्व ही दिया गया था । आज हम कलियुग में जी रहे हैं । आज के इस युग में हमारे में बहुतायत अर्जुन जैसे लोगों की है,जो किंकर्तव्यविमूढ़ है । क्या किया जाये और क्या न किया जाये,उनके सामने स्पष्ट नहीं है । ऐसे में यह गीता नामक शास्त्र ,हम सबका एक अच्छा मार्गदर्शक सिद्ध हो सकता है । बस, आवश्यकता है कि हम इस शास्त्र के महत्व को समझे और इसको आत्मसात करें । इस ग्रन्थ को पढ़ने के उपरांत ही अनुभव होता है कि कितनी गहनता है इसमें ?
इसके अध्ययन के प्रारम्भिक दौर में हो सकता है कि विषय कुछ नीरस सा महसूस हो,परन्तु इसका सतत अध्ययन करने से पता चलेगा कि कितना सरल है इसका अध्ययन ? हाँ,यह अवश्य है कि जब तक हमारे सामने अर्जुन जैसी परिस्थितियां पैदा नहीं होगी,तब तक हमारा गीता के प्रति आकर्षण बनना कठिन है । एक बार गीता के ज्ञान सागर में उतरें,आप इसके अन्दर डूबते चले जायेंगे । यही इस ग्रन्थ की विशेषता है ।
हम ऋणी हैं अर्जुन के ,जिसके कारण हमें इतना पवित्र ज्ञान प्राप्त हो सका । इस पावन दिवस पर आप सभी को गीता-जयंती की शुभकामनायें ।
॥ हरिः शरणम् ॥
इसके अध्ययन के प्रारम्भिक दौर में हो सकता है कि विषय कुछ नीरस सा महसूस हो,परन्तु इसका सतत अध्ययन करने से पता चलेगा कि कितना सरल है इसका अध्ययन ? हाँ,यह अवश्य है कि जब तक हमारे सामने अर्जुन जैसी परिस्थितियां पैदा नहीं होगी,तब तक हमारा गीता के प्रति आकर्षण बनना कठिन है । एक बार गीता के ज्ञान सागर में उतरें,आप इसके अन्दर डूबते चले जायेंगे । यही इस ग्रन्थ की विशेषता है ।
हम ऋणी हैं अर्जुन के ,जिसके कारण हमें इतना पवित्र ज्ञान प्राप्त हो सका । इस पावन दिवस पर आप सभी को गीता-जयंती की शुभकामनायें ।
॥ हरिः शरणम् ॥
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