Friday, March 27, 2015

मानव-श्रेणी |-2

                           हमने प्रत्येक व्यक्ति को उसकी अपनी सोच के अनुसार पांच श्रेणियों में  रखा है ,यथा-पामर.विषयी,साधक,सिद्ध और परमात्मा । इसमे से प्रत्येक श्रेणी में अवस्थित मनुष्य के लक्षणों के बारे में हम कुछ जानकारी लेते हैं । वैसे अंतिम श्रेणी परमात्मा में कोई कोई विरला ही प्रवेश कर पाता है । इस उच्चत्तम अवस्था को प्राप्त पुरुष स्वयं ही परमात्मा हो जाता है । इन समस्त श्रेणियों के बारे में जानकारी प्राप्त करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि व्यक्ति अपने स्तर का  आकलन कर उच्च स्तर को प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है । यह बहुत बड़ी विडंबना है कि व्यक्ति को आनंद अपनी ही श्रेणी में रहने का आता रहता है, जिस कारण  से उसके ह्रदय में कभी भी ऐसा भाव आना  असंभव होता है कि वह अपने आत्मिक स्तर को उच्च  स्तर पर ले जाये । उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए किसी मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है । उस मार्गदर्शक को हम लोग गुरु की संज्ञा देते हैं  ।
                         संसार में पामर से सिद्ध  के स्तर को प्राप्त करनेवालों में एक नाम अंगुलिमाल का भी है । वह एक पामर स्तर का ,निम्नतम श्रेणी का मनुष्य था ,जो प्रतिदिन एक व्यक्ति की निर्मम  हत्या करके उसकी अंगुलियाँ काट डालता था । फिर उन अँगुलियों को एक धागे में पिरोकर उसकी माला बनाकर अपने गले  में डाल लेता था । उस माला को पहने हुए वह दिन भर इधर उधर घूमते हुए लूटपाट करता रहता था । फिर अगले दिन किसी अन्य व्यक्ति  को मारकर उसकी अँगुलियों की माला बनाकर गले में डाल कर दिनभर लूटपाट करता रहता था । गले में अँगुलियों की माला पहने देखकर कोई भी व्यक्ति आतंकित हो सकता है । इस आतंक के कारण किसी भी व्यक्ति में इतनी हिम्मत  नहीं होती थी कि वह अंगुलिमाल का विरोध  कर सके ।
                        परन्तु एक दिन उसे भी मार्गदर्शक मिल ही गया ।  भगवान् बुद्ध ही उसके गुरु  बने । भगवान बुद्ध द्वारा कहे गए एक वाक्य से ही उसका ह्रदय परिवर्त हो गया और वह पामर श्रेणी से सिद्ध की श्रेणी को प्राप्त हो गया ।
क्रमशः
                                   ॥ हरिः शरणम्   ॥
                                             

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