कर्मफलों से मुक्त कैसे हों ? यह एक ऐसा विषय है जिसे बौद्धिक धरातल पर समझना तो सबसे आसान है, पर करना सबसे अधिक कठिन कार्य है|
शरणागति द्वारा परमात्मा को पूर्ण समर्पित होकर ही हम अपने अच्छे-बुरे सब कर्मों से मुक्त हो सकते हैं| यह समर्पण अपने अहंकार, मोह, कामनाओं, लोभ, और राग-द्वेष सभी का हो | यही मुक्ति है, और यही मोक्ष है |
जब कोई भी कार्य हमारे माध्यम से परमात्मा के लिए ही, परमात्मा को समर्पित होकर ही होता है, वह किसी भी प्रकार के बंधन का कारण नहीं बनता |
जो कार्य अपने इन्द्रिय सुख के लिए, अपने अहंकार कि तृप्ति के लिए होता है, वह ही बंधन का कारण होता है | हमारी सोच, हमारे विचार और हमारे भाव भी हमारे कर्म ही हैं, जो हमारे खाते में जुड़ जाते हैं |
यही है कर्म फलों का रहस्य और मुक्ति का उपाय जो समझने में सर्वाधिक सरल है, पर करने में सर्वाधिक कठिन है |
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
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