Wednesday, April 8, 2015

मानव-श्रेणी |-5

पामर-पुरुष-
             पामर श्रेणी उन मनुष्यों की मानी गई है ,जो वास्तविकता को एकदम से विपरीत समझते हैं । इस संसार में जो कुछ भी शास्त्रोक्त  है,जिसे हम नियम के अनुसार समझते हैं ,जिस कार्य को इस भौतिक संसार में  निम्नतम श्रेणी का माना गया है  साधारण पुरुष जिस कार्य को अनुचित मानते हैं ,इस श्रेणी के व्यक्ति उसे उचित  मानते हैं । आपको एक महत्वपूर्ण बात बताता हूँ ,उचित और अनुचित में विभाजन केवल मात्र एक महीन रेखा,बहुत ही हल्की  खिंची गयी रेखा करती है । इस अति बारीक रूप से हुए विभाजन के कारण ही पामर मनुष्य अनुचित को उचित बताने में सफल हो  जाते  हैं । उनका यह तर्क एक साधारण मनुष्य को कई बार ही नहीं बल्कि प्रायः ही  अनुचित को उचित मानाने को विवश कर देता है ।
                   इस विभाजन का अनुचित फायदा उठाने का एक उदाहरण भी बताता  हूँ । राम ने अपनी वनवास अवधि में सूपनखा का मानसिक तौर पर एक प्रकार का उत्पीडन किया था ।  इस दौरान लक्ष्मण ने उसके नाक और कान काट डाले थे । जिसकी प्रतिक्रिया स्वरुप सूपनखा के भाई ने प्रतिशोध लेते हुए राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लिया था । इस  प्रकरण का जब पामर श्रेणी का व्यक्ति विश्लेषण करता है तो उसे रावण का यह कृत्य उचित लगता है । परन्तु क्या उसका ऐसे विश्लेषण करना सही  है?आँख मूँद कर राम की भक्ति करने वाले व्यक्ति रावण  के इस कृत्य को अनुचित बताएँगे और बुद्धिमान व्यक्ति जो  राम को भगवान नहीं एक साधारण व्यक्ति समझते हैं वे रावण के इस कृत्य को , समस्त जानकारी प्राप्त करने के बाद  ही अनुचित बताएँगे । पामर  श्रेणी के मनुष्य इस घटना की एक balance sheet बनाते हुए लेना-देना बराबर हुआ मानकर रावण के इस कृत्य को सही ठहराएंगे ।
क्रमशः
                                       ॥ हरिः शरणम् ॥ 

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