Tuesday, October 27, 2015

सनातन शास्त्र-4

            जब व्यक्ति को चारों और अन्धकार दिखाई देता है, कोई रास्ता नज़र नहीं आता तब एक मात्र मार्गदर्शन देने वाला हमारा सद् साहित्य ही होता है |  ऐसे में हमें सदैव ही इनका सम्मान करना चाहिए | इसी कारण से हमारे पूर्वजों ने साहित्य को सबसे बड़ा मित्र कहा है |आपके बुरे  समय में आपके परिवार जन,  मित्र आदि सभी साथ छोड़ सकते हैं परन्तु सद् ग्रन्थ कभी भी आपका साथ नहीं छोड़ सकते |अतःजीवन में इन शास्त्रोंका बहुत ही महत्त्व है | जीवन के प्रारम्भ से ही जिन्हें पुस्तकें आदि पढ़ने की आदत होती है, उन्हें आज तक मैंने अपने जीवन में विपत्तियों से घबराते हुए नहीं देखा है |उन्हें ये शास्त्र ही घोर अँधेरे में भी मार्ग दिखाते हैं | आज इस आपाधापी युक्त  एकाकी जीवन में जहाँ केवल अपना स्वार्थ ही मित्रता है, शास्त्र अधिक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं | इनका उपयोग जो भी कोई व्यक्ति करेगा ,उसका जीवन आनंदमय होगा |
                 इस प्रकार हम देखते हैं की हमारे जीवन को अवसाद से आनंद तक ले जाने वाले हमारे शास्त्र ही हैं |इनकी उपेक्षा करना जीवन की उपेक्षा करना है | आप श्रीमद्भागवत गीता को ही ले लीजिये | गीता का प्रथम अध्याय विषाद योग नाम का है | इस अध्याय में अर्जुन के अवसादग्रस्त हो जाने का उल्लेख है | इसमे व्यक्ति जब जब अवसादग्रस्त हो जाता है,तब तब वह कैसा व्यवहार और कैसी कैसी बातें करता है,सब का विवरण दिया गया है | दूसरे अध्याय  से जब भगवान श्री कृष्ण उससे बात करना प्रारम्भ करते हैं तब अठारहवें अध्याय तक आते आते अर्जुन अवसाद से बाहर निकल आता है | इसीलिए गीता को अवसाद से आनंद तक की यात्रा कहा गया है |
                    इसी प्रकार श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रृंगी ऋषि के शाप से आहत राजा परीक्षित अवसादग्रस्त हो जाता है | उसे श्राप मिलता है कि आज से सात दिन बाद सर्पों का राजा तक्षक उसे डस लेगा जिस कारण से वह तत्काल ही मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा | परीक्षित इस श्राप से विचलित होकर अवसाद में आ जाता है | वह अपना राज पाट त्यागकर वन में आ जाता है |वहां गंगा किनारे उसे शुकदेव मुनि ज्ञान देकर संभावित मृत्यु के भय से उत्पन्न अवसाद से बाहर निकाल लाते हैं |
                                  अवसादग्रस्त होने का मूल कारण  कहीं भीतर गहरे में छुपा कोई भय होता है | जब उस भय को समाप्त कर दिया जाये तो व्यक्ति अवसाद से  बाहर निकल आता है |हमारे समस्त सनातन शास्त्र व्यक्ति को भय से मुक्त करने वालें  है | यही हमारे धर्म शास्त्रों की विशेषता है |अतः इनका समय समय पर अध्ययन करते रहना बड़ा ही लाभप्रद होता है | जीवन में सद् शास्त्र की बताई राह पकड़ें | यही Art of life है, जीवनको आनंदपूर्वक जीने की कला है |
क्रमशः
                                          || हरिः शरणम् ||

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