Wednesday, October 7, 2015

सनातन-शास्त्र-1

                     हमारा सौभाग्य है कि हम इस संसार में एक मनुष्य के रूप में पैदा हुए हैं |मनुष्य, अर्थात जिसके पास मन हो | मन, जिसके पास जीव के द्वारा किये जाने वाले कर्मों की सत्ता हो |बिना मन के इस संसार में रहने और कुछ कर पाने की कल्पना करना तक असंभव है |मन की  उपस्थिति से ही हम अपने आप को मनुष्य कहते हैं |बिना मन के शेष 84 लाख योनियां ही है | उन सबसे अलग केवल मात्र एक योनि ही है जिसके पास मन है,और वह है मनुष्य | जिस मनुष्य ने मन का किसी भी प्रकार उपयोग नहीं किया वह मनुष्य अपने आपको मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं है |अतः गर्व कीजिये , स्वयं के मनुष्य होने का अन्यथा इस संसार में अन्य प्राणी भी शेष सभी वे कर्म करते ही हैं,जो मनुष्य भी करता है सिवाय अपने मन में सोचे गए कर्म के |मन ही मनुष्य को उन्नति अथवा अवनति तक ले जा सकता है |
               मनुष्य के रूप में इस संसार में आने के बाद हमारा दूसरा सौभाग्य यह है कि हम इस भारत भूमि में जन्में है | भारत भूमि, पृथ्वी का वह भाग जहाँ पर परमात्मा को जानने वाले और उसमे विश्वास करने वालों की संख्या सर्वाधिक है | जहाँ परमात्मा ने मनुष्य के रूप में अवतरित होकर लीलाएं की है | इस भूमि पर देवी स्वरूपा नदियाँ कलकल का नाद करती हैं |संसार के किसी भी भाग में छःऋतुएं नहीं होती, सिवाय भारत के, जिनसे प्राप्त होने वाले आनंद का वर्णन नहीं किया जा सकता | हरीतिमा से युक्त वन यहाँ की शोभा द्विगुणित कर देते हैं |हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाएं और उनकी गुफाओं में बैठे साधनारत महात्मा लोग यहाँ के आध्यात्मिक सौन्दर्य का वर्णन करते हैं |अतः यहाँ की धरती पर जन्म लेना सौभाग्य से कम कैसे हो सकता है ?भारत का अर्थ है-भा + रत | भा अर्थात प्रकाश, ज्ञान का प्रकाश और रत अर्थात प्राप्त करने को उद्द्यत | भारत, जहा प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान रूप प्रकाश को प्राप्त करने को उद्द्यत रहता है |
                   तीसरा हमारा सौभाग्य यह है कि इस पवन भूमि पर हम एक सनातन धर्मावलम्बी के परिवार में पैदा हुए हैं | सनातन धर्म अर्थात वह धर्म जो आदि काल  से चला आ रहा है , चल रहा है और अनंत काल तक चलता रहेगा | सनातन परमात्मा है और सनातन ही यह धर्म है |वह धर्म, जो मानव को मानव का सहयोगी बनाता है, हिंसा से कोसों दूर है , सत्य के मार्ग पर चलने की सदैव ही प्रेरणा देता है और सबसे बढकर तो यह बात है कि सनातन धर्म प्रत्येक जीव , जीव ही नहीं सर्वस्व में परमात्मा होने की बात कहता है | ऐसा धर्म ही सनातन हो सकता है | हमें गर्व होना चाहिए कि हम ऐसे धर्म में विश्वास करने वाले हैं और हम ऐसे उच्च कोटि के धर्म के मार्ग पर चलने वाले हैं |हमारे ऋषि मुनियों ने बिना किसी लोभ-लालच के अपनी सोच को, अपने दर्शन को लेखनी प्रदान की है, उन्हें सनातन शास्त्रों का रूप दिया है  |ये सनातन शास्त्र हमारी अमूल्य निधि है | उनका अध्ययन ही हमें इस सनातन धर्म के मार्ग पर चलते रहने की प्रेरणा देते है |उनका अध्ययन हमें अँधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने का मार्ग दिखता है |
क्रमशः
                                   || हरिः शरणम् ||
                

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