Thursday, July 10, 2025

गुरु - पूर्णिमा

            महाभारतकालीन सत्यवती, एक मत्स्य कन्या थी क्योंकि उसका जन्म एक मछली के गर्भ से हुआ था । इन्हें मत्स्यगंधा भी कहा जाता है क्योंकि इनके शरीर से मछली की गंध आती थी । एक मछुआरे ने इनका लालन-पालन किया । युवती हो जाने पर वह नाव चलाकर लोगों को यमुना नदी के आर-पार लाती ले जाती थी । एक बार ऋषि पराशर उनकी नाव में पार जाने के लिए बैठे । सत्यवती के शरीर से निकलने वाली मछली की गन्ध को उन्होंने अपने तप के प्रभाव से दूर कर दिया । इसी यात्रा में ऋषि पराशर के मिलन से सत्यवती गर्भवती हो गई । उस गर्भ से जिस बालक का जन्म हुआ उसका नाम श्रीकृष्ण द्वैपायन था जो बाद में वेद व्यास नाम से प्रसिद्ध हुए । वेद व्यास जी का जन्म एक द्वीप पर हुआ था और जन्म से वे कृष्ण वर्ण थे, इस कारण इनका नाम श्रीकृष्ण द्वैपायन पड़ा । वेद व्यासजी सात चिरंजीवियों में से एक है । ऐसा विश्वास किया जाता है कि वे आज भी इस पृथ्वी पर जीवित हैं ।

            उनका जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हुआ था । उनकी विलक्षण प्रतिभा के कारण इस दिन को गुरु-पूर्णिमा भी कहा जाता है । उन्होंने अपनी प्रतिभा से जो ग्रंथ लिखे, वे आज सनातन धर्म के आधार ग्रंथ हैं । उन्होंने वेदों का संकलन, मीमांसा, ब्रह्म-सूत्र, अठारह पुराण, महाभारत महाकाव्य आदि कई ग्रंथ लिखे ।  

         गुरु-पूर्णिमा के दिन गुरु-पूजन किया जाता है । गुरु ही मनुष्य को उसके जीवन का उद्देश्य बताते हुए मार्गदर्शन करते हैं । आज आदर्श गुरु मिलने असंभव से होते जा रहे हैं । यही कारण है कि समाज को सही दिशा नहीं मिल पा रही है । जिस दिन गुरु सही मायने में गुरु हो जाएंगे और शिष्य उनके प्रति श्रद्धा, निष्ठा रखते हुए पूर्ण रूप से समर्पित हो जाएगा, उस दिन सनातन संस्कृति पुनः अपने सर्वोच्च शिखर को छू लेगी ।

              कलयुग में सच्चा गुरु वह है जो शास्त्रों के ज्ञान के आधार पर भक्ति का मार्गदर्शन करता है । शास्त्रों का पूर्ण ज्ञाता होने के साथ-साथ गुरु को अनुभव सिद्ध भी होना चाहिए । अनुभव सिद्ध गुरु ही सत्य का मार्ग दिखा सकता है । गुरु ही शिष्य को मोक्ष की ओर ले जा सकता है जिससे वह सांसारिक आवागमन से मुक्त हो जाता है । गुरु ही व्यक्ति को मर्यादा में रहकर भक्ति करने का संदेश देता है ।

              आइए ! गुरु-पूर्णिमा के दिन हम सब संकल्प करें कि गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने जीवन में उतारें । सही अर्थों में यही गुरु की पूजा होगी । आप सभी को गुरु - पूर्णिमा की शुभकामनाएं ।

।। हरिः शरणम् ।।

प्रस्तुति - डॉ. प्रकाश काछवाल

No comments:

Post a Comment