Wednesday, November 26, 2014

प्रदर्शन |

                                अभी दो दिन पूर्व मैं उदयपुर था-राजस्थान के  शिशु रोग विशेषज्ञों के सम्मलेन में भाग लेने के लिए । किसी भी आयोजन से पूर्व सदैव ही उस आयोजन के उद्घाटन की एक रस्म निभाई जाती है । इस आयोजन में भी ऐसा ही कुछ किया गया । मंचस्थ सभी व्यक्ति अपने प्राकृतिक व्यवहार से विपरीत व्यवहार करते महसूस हो रहे थे । जो व्यक्ति सदैव जिस रूप में हमें नज़र आते हैं,यदि किसी एक दिन वे ऊसके विपरीत नज़र आये तो स्वाभाविक है कि उस तरफ आपका ध्यान अवश्य ही जायेगा । मंच पर आयोजक और मुख्य अतिथि उपस्थित थे और वे सभी उस दिन ऐसा व्यवहार कर रहे थे ,जैसा कि वे आम दिनों में नहीं करते हैं ।
                                स्वर्गाश्रम,ऋषिकेश में एक संस्था है -वानप्रस्थ-आश्रम । वहां कई स्थानों पर सुविचार लिखे हुए है । एक सुविचार है-"व्यक्ति जो कुछ भी है उसको छुपाने में अपनी आधी ऊर्जा व्यय कर देता है और शेष बची ऊर्जा जो नहीं है,उसे दिखाने में ।"इस  प्रकार हम देखते हैं की इस छुपाने और दिखने में ही वह अपने जीवन की सारी ऊर्जा खपा डालता है । ऐसे में उसके पास अपने जीवन में कुछ नया करने के लिए ऊर्जा बचती ही नहीं है । यही बात ध्यान देने योग्य है ।
                              हमें अपने जीवन में सदैव ही अपने स्वभाव के अनुरूप ही व्यवहार करते रहना चाहिए,जिससे ऊर्जा का अनावश्यक क्षरण न हो । ऐसे में हमारे पास ऊर्जा का अतुल भंडार होगा जिससे हम अपने इस छोटे से जीवनकाल में कई सृजनात्मक कार्य  कर सकते हैं । जीवन में अगर किसी लक्ष्य को प्राप्त करना है तो सदैव ही अपने प्राकृतिक स्वभाव में ही जीयें । याद रखें,शेर की खाल ओढ़ लेने मात्र से ही कोई भेड़िया कभी भी शेर बन कर शिकार नहीं कर सकता । भेड़िया तभी शिकार कर सकता है जब वह भेड़िये के स्वभावानुसार ही शिकार करे । आप जो  कुछ भी हैं ,उस परमात्मा ने आपके स्वभावानुसार ही आपको वैसा बनाया है । उसमे कुछ भी परिवर्तन करने का प्रयास न करें । फिर देखें,आप कैसे अपनी इस  उर्जा से नई उपलब्धियां हासिल करते हैं । दिखावा आपको बड़ा होने का भ्रम ही पैदा कर सकता है,बड़ा बनाता नहीं है और न ही बड़ा बनने देता है ।
                             ॥ हरिः शरणम् ॥ 

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