Monday, June 23, 2025

यात्रा -वृत्तान्त -26

 यात्रा-वृत्तान्त -26

       पर्वत पर ॐ की आकृति प्राकृतिक रूप से बनी हुई है । सर्दियों में हिमपात होने पर पूरा पहाड़ बर्फ से ढक जाता है । मार्च के बाद जब बर्फ पिघलनी शुरू होती है तब चारों ओर की बर्फ पहले पिघलती है और ॐ की आकृति उभरकर स्पष्ट दिखलाई देने लगती है । अभी भी ॐ के साइड में हल्की बर्फ है, जून के मध्य तक ॐ एकदम स्पष्ट नज़र आने लगेगा । “ॐ पर्वत” स्थित हिमालय की गोद में उस ॐ के ध्यान में खो जाने का जो परमानंद प्राप्त हुआ, कोई भी शब्द उन पलों के आनंद की अनुभूति को व्यक्त नहीं कर सकता ।

           जहां से हम ॐ पर्वत निहार रहे हैं, उस स्थान के दाहिनी ओर ‘पार्वती की नाभि’ नामक पर्वत है । बर्फ पिघलने पर यहाँ शिव, पार्वती और नंदी की आकृति उभर आई है और पार्वती की नाभि तक दिखलाई पड़ने लगी है । शायद इसी कारण इस स्थान का नाम ‘नाभिढांग कैम्प’ पड़ा होगा । यहाँ सेना की एक चौकी बनी हुई है । इसी पर्वत से थोड़ी दूर पर शेष नाग पर्वत की पीक भी दिखलाई देती है ।

             जहां से ॐ पर्वत के स्पष्ट दर्शन होते हैं, वहाँ से 200 मीटर की दूरी पर दुर्गा मां का मंदिर बना हुआ है, जिसकी देखभाल ITBP करती है । पुजारी भी ITBP का ही है । यहाँ नियमित पूजा आरती होती है । यहाँ से वापसी का मन तो नहीं करता लेकिन घड़ी के कांटे बता रहे हैं कि शीघ्र ही चलना चाहिए, रास्ते में काली मंदिर भी देखना है । काली मंदिर यहाँ से गूंजी लौटते समय बीच रास्ते में पड़ता है, जहां से काली नदी का उद्ग़म होता है । काली मंदिर के पास ही सेना की चेकपोस्ट है, यहाँ फिर से एक बार लौट रहे यात्रियों की जाँच की जाती है । जाँच का उद्देश्य है कि जितने और जो भी यात्री ऊपर गए हैं, वे सब लौट आए हैं या नहीं ।

क्रमशः 

प्रस्तुति - डॉ. प्रकाश काछवाल

।। हरिः शरणम् ।।

No comments:

Post a Comment