Thursday, October 23, 2014

प्रकाश-पर्व |

                           कार्तिक मास की घोर अँधेरी रात को दीपावली का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है । इस पर्व के मनाने के पीछे कई कारण गिनाये जा सकते हैं ,जिनके बारे में विशेष चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है । यह दिन सनातन धर्मावलम्बियों के लिए सबसे बड़ा दिन माना जाता है । इसका सम्बन्ध सांसारिक व्यक्तियों के लिए लक्ष्मी पूजन से सम्बंधित है तो तामसिक और तांत्रिक व्यक्तियोंके लिए विभिन्न प्रकार की शक्तियां प्राप्त करने के लिए साधना करने का दिन भी है । आध्यात्मिक व्यक्तियों के लिए भी  यह पर्व परमात्मा प्राप्ति और संसार के लिए शांति व वैभव प्रदान करने के लिए प्रार्थना करने का दिन है ।
                       अगर हम वैज्ञानिक ,विशेष तौर से भूगोलशास्त्रियों की दृष्टि से देखें तो  पाएंगे कि यह इस माह की सबसे स्याह रात होती है । इस रात प्रकाश की न्यूनता होती है । आज के बाद हम अंधकार से प्रकाश की ओर प्रस्थान करते हैं । यह एक सन्देश है,जीवन के कठिनतम समय में जी रहे उन लोगोंके लिए ,जिन्हें लगता है कि  उनके जीवन में कभी प्रकाश का प्रादुर्भाव होगा ही नहीं । प्रत्येक अंधकार के बाद प्रकाश की राह अवश्य ही होती है । अतः अन्धकार की घोर काली रात का  भी उत्साह के साथ  अभिनन्दन  करें। अंधकार के बाद ही प्रकाश का प्रादुर्भाव होना है । जीवन के कठिनतम दिनों को इस अँधेरी रात की तरह ही उल्लास के साथ बिताएं तभी आप प्रकाश की ओर अग्रसर हो पाएंगे ।
                      आप सभी को मेरी तरफ से दीपावली की मंगल कामनाएं ।परमात्मा  से प्रार्थना है कि आपके जीवन के भावी दिन प्रकाश से सदैव ही आलोकित रहे । शुभ दीपावली ।
                                 ॥ हरिः शरणम् ॥  

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